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US Election 2020: कमला हैरिस से पहले इन देशों में शीर्ष पर पहुंचकर इतिहास रच चुके हें भारतीय मूल के लोग, डालें नजर

अमेरिका में कमला हैरिस ने जो बाइडन के साथ जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया था। वो अमेरिका की पहली उप-राष्‍ट्रपति होंगी। इस नाते वो अमेरिका में नंबर 2 पर सबसे ताकतवर होंगी। हालांकि दुनिया के कुछ मुल्‍कों में पहले ही भारतीय शीर्ष पद पर रह चुके हैं

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 01:47 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 02:11 PM (IST)
US Election 2020: कमला हैरिस से पहले इन देशों में शीर्ष पर पहुंचकर इतिहास रच चुके हें भारतीय मूल के लोग, डालें नजर
अमेरिका में नंबर दो की हैसियत रखेंगी कमला हैरिस

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। भारतीयो के लिए इस नवंबर में अब तक दो खबरें ऐसी आई हैं जिनसे हर देशवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। इनमें पहली खबर न्‍यूजीलैंड की सरकार में भारतीय मूल की महिला प्रियंका राधाकृष्‍णन के केबिनेट में शामिल होने से जुड़ी थी तो दूसरी खबर अमेरिकी चुनाव में भारतीय मूल की महिला प्रत्‍याशी कमला हैरिस के वहां की पहली अश्‍वेत महिला उपराष्‍ट्रपति बनने से जुड़ी है। इसमें कोई शक नहीं है कि ये दोनों ही खबरें अपने आप में काफी बड़ी हैं। प्रियंका पहली ऐसी भारतीय मूल की महिला हैं जिन्‍हें वहां की पीएम जैसिंडा अर्डन ने अपने केबिनेट में जगह दी है। बहरहाल, आपको बता दें कि ऐसे कई और भारतीय मूल के नेता रहे हैं जो दूसरे देशों में राष्‍ट्राध्‍यक्ष तक रहे हैं। इनमें सिंगापुर और मॉरीशस सबसे आगे हैं। आईए डालते हैं ऐसे ही चेहरों पर एक नजर:-

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भारत के हरियाणा राज्‍य से ताल्‍लुक रखने वाले और फिजी लेबर पार्टी के महेंद्र पाल चौधरी वर्ष 1999 फिजी के प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि एक साल के बाद ही उनकी सरकार का तख्‍ता पलट कर उन्‍हें बंधक बना लिया गया था। 56 दिन के बाद उन्‍हें रिहा किया गया था, जिसके बाद वो भारत आए थे। हालांकि इससे पहले 1997 में भी वो भारत आ चुके थे। 1912 में उनके दादा फिजी गए थे और फिर वहीं बस गए। पीएम बनने से पहले वहां पर एक ऑडिटर थे। आपको बता दें कि अंग्रेजों के शासन के दौरान वो बड़ी संख्‍या में भारतीयों को काम के लिए दूसरे देशों में ले गए थे। इनमें एक देश फिजी भी था। यहां पर भारतीय मूल के लोगों की संख्‍या अच्‍छी खासी है। हालांकि महेंद्र पाल को वहां पर बागी बने जार्ज स्‍पीट ने ये कहते हुए बंधक बनाया था कि वो विदेशी मूल के हैं और उन्‍हें इस नाते पीएम बने रहने का हक नहीं है।

भारतीय मूल की महिला कमला प्रसाद बिसेसर ने 26 मई 2010 को त्रिनिनाद एवं टोबैगो की प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। वो इस पद पर 9 सितंबर 2015 तक रही थीं। वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। आपको बता दें कि कमला एक ही साथ में तीन अलग-अलग भूमिका में थीं। इसके अलावा वो त्रिनिनाद एवं टोबैगो की पहली एटॉर्नी जनरल और एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री भी रह चुकी थी। इसके अलावा वो विपक्ष की नेता की भी भूमिका अदा कर चुकी थीं।

अमेरिका के गयाना में छेदी भरत जगन यहां के कुछ गिने-चुने विशाल कद वाले नेताओं में शामिल किए जाते हैं। 1953 में ब्रिटिश गयाना के पहले सीएम के लिए चुना गया था। इसके बाद वो यहां के प्रधानमंत्री बने। बतौर पीएम उनका कार्यकाल 1961-1964 तक रहा था। इसके बाद 1992-1997 तक वो देश के राष्‍ट्रपति भी रहे थे।

देवन नायर ने सिंगापुर में नेशनल ट्रेड यूनियन की स्थापना की थी। वे सिंगापुर के तीसरे राष्‍ट्रपति बने थे। इसके अलावा वो सिंगापुर की आर्म्‍डफोर्स के कमांडर इन चीफ भी थे। बतौर राष्‍ट्रपति उनका कार्यकाल 23 अक्‍टूबर 1981 से 28 मार्च 1985 तक रहा था। जब वे महज दस वर्ष के थे तब उनके परिवार केरल से सिंगापुर चला गया था।

एस आर नाथन सिंगापुर के छठे राष्‍ट्रपति बने थे। वो इस पद पर करीब 12 वर्षों तक (1 सितंबर 1999 से लेकर 31 अगस्‍त 2011) बने रहे थे। उनके पिता दक्षिण भारत के राज्‍य तमिलनाडु से ताल्‍लुक रखते थे। नाथन का जन्‍म सिंगापुर में ही हुआ था। सिंगापुर के राष्‍ट्रपति बनने से पहले वो कई अहम मंत्रालय देख चुके थे। उन्‍होंने वर्ष 2012 में प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था।

मॉरीशस में शिवसागर रामगुलाम कई भूमिकाओं में दिखाई दिए। वो देश के पहले मुख्‍यमंत्री बने। इसके बाद प्रधानमंत्री बने। इतना ही नहीं वो मॉरीशस के छठे गवर्नर-जनरल भी थे। उन्‍हें हिंदू धर्म में अपार श्रद्धा थी। इसके अलावा वो हिंदी को भी पूरा मान देते थे। यही वजह है कि उनके कार्यकाल में देश में हिंदी का प्रचार और प्रसार काफी बढ़ा। रामगुलम भारतीय संस्कृति के पोषक थे। उनके पिता महज 18 साल की उम्र में मॉरिशस चले गए थे। रामगुलाम का जन्‍म मॉरिशस में ही हुआ था। भारत में चले स्‍वतंत्रता आंदोलन से ही प्रभावित होकर उन्‍होंने मॉरीशस में एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया था।

भारत के उत्‍तरी राज्‍य उत्‍तर प्रदेश से ताल्‍लुक रखने वाले प्रविंद कुमार जगन्‍नाथ और उनके पिता अनिरुद्ध जगन्‍नाथ दोनों ही मॉरीशस के सर्वोच्‍च पद पर पहुंचे थे। ये मूल रूप से बलिया जिले से ताल्‍लुक रखते हैं। वर्ष 2009 में प्रविंद भारत के दौरे पर भी आए थे। बतौर कृषि मंत्री प्रविंद ने मॉरीशस में कई तरह के बदलाव किए जिनका असर वहां की खेती और किसानों पर दिखाई देता है। अनिरुद्ध मॉरीशस के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों पदों पर रहे थे।


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