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भारत में अच्छे मानसून से उड़ जाते हैं अमेरिका के होश, जानिए क्‍यों और कैसे

हिंद महासागर में उठने वाले मानसून का अमेरिका से सीधा कनेक्‍शन है। आपको यह सुनकर हैरत हो रही होगी, लेकिन यह एक सच है जो एक शोध में निकलकर सामने आया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 03:30 PM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 03:30 PM (IST)
भारत में अच्छे मानसून से उड़ जाते हैं अमेरिका के होश, जानिए क्‍यों और कैसे

नई दिल्‍ली। हिंद महासागर में उठने वाले मानसून का अमेरिका से सीधा कनेक्‍शन है। आपको यह सुनकर हैरत हो रही होगी, लेकिन यह एक सच है जो एक शोध में निकलकर सामने आया है। शोध में सामने आया है कि जब भारत में आने वाला मानसून ताकतवर होता है तो वह एटलांटिक महासागर में उठने वाले हरिकेन को पश्चिम की तरफ बढ़ा देता है। ऐसे में इसका विकराल रूप अमेरिका की धरती पर देखने को मिलता है। यह शोध जियोफिजिकल रिसर्च के जर्नल में छपा है। इसमें कहा गया कि कुछ वर्षों में मानसून के अध्‍ययन से इसका पता चला है कि जब-जब भारत में मानसून अच्‍छा रहा है तब-तब अमेरिका में हरिकेन ने काफी तबाही मचाई है। वहीं जब मानसून हल्‍का होता है तो एटलांटिक महासागर में उठने वाली हरिकेन तटीय इलाकों तक नहीं पहुंच पाती हैं।

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शोधकर्ताओं का मानना है कि हाल ही में सामने आए इस नए शोध से वैज्ञानिकों को हरिकेन के प्रभाव को पहले ही से समझने में मदद मिल सकती है। खासतौर पर सितंबर के समय में जब एटलांटिक महासागर में होने वाली गतिविधियां चरम पर होती हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के अंतर्गत आने वाले पेसिफिक नॉर्थवेस्‍ट नेशनल लेबोरेट्री के शोधकर्ता पेट्रिक केली के मुताबिक उनके लिए यह जानना काफी दिलचस्‍प है कि भारत और इसके करीबी देशों में होने वाली बारिश एटलांटिक में उठने वाली हरिकेन को किस तरह से प्रभावित करती है। इस हरिकेन से आधी दुनिया में असर पड़ता है।

आपको यहां पर बता दें कि इस तरह का शोध पहली बार सामने आया है जिसमें एटलांटिक हरिकेन और हिंद महासागर में उठने वाले मानसून में संबंध साधा है। भारत में मानसून का असर सितंबर तक देखा जाता है। लेकिन बदलते समय में और लगातार बढ़ते तापमान में मानसून के और आगे बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।


शोधकर्ताओं के मुताबिक मौसम में आने वाला बदलाव और जलवायु परिवर्तन दोनों का ही असर मानसून और एटलांटिक हरिकेन पर आगे भी देखने को मिल सकता है। हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी के प्रोफेसर बेंजामेन किर्टमेन का मानना है कि हरिकेन के पूर्वानुमान के लिए अभी काफी कुछ किया जाना होगा। पिछले शोध में यह बात सामने आई थी कि हरिकेन ने अल नीनो को भी प्रभावित कर उसमें बदलाव किया था।

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