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अमेरिका से 30 ड्रोन खरीदेगा भारत, डीएसी की बैठक में लगाई जा सकती है 22 हजार करोड़ के सौदे पर मुहर

अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा करने के लिए भारत करीब 22 हजार करोड़ रुपये की लागत से अमेरिका से 30 सशस्त्र ड्रोन की खरीद का बड़ा समझौता करने की योजना बना रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 10:20 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 12:46 AM (IST)
अमेरिका से 30 ड्रोन खरीदेगा भारत, डीएसी की बैठक में लगाई जा सकती है 22 हजार करोड़ के सौदे पर मुहर
भारत अमेरिका से 30 सशस्त्र ड्रोन की खरीद का बड़ा समझौता करने की योजना बना रहा है।

नई दिल्ली, एजेंसिया। अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा करने के लिए भारत करीब 22 हजार करोड़ रुपये की लागत से अमेरिका से 30 सशस्त्र ड्रोन की खरीद का बड़ा समझौता करने की योजना बना रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। योजना के मुताबिक, भारत अपनी सेना के तीनों अंगों के लिए 10-10 'एमक्यू-9 रीपर' ड्रोन की खरीद करेगा। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक यह खरीद इसलिए की जा रही है क्योंकि भारत दो मोर्चो (पाकिस्तान और चीन) पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है।

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इन सशस्त्र ड्रोनों की खरीद पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में मुहर लगाई जा सकती है। इस सौदे को अंतिम रूप देने के लिए अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन के इस महीने के आखिर में भारत यात्रा करने की संभावना है।

इन एमक्यू-9 ड्रोन का निर्माण सैन डियागो स्थित जनरल एटोमिक्स द्वारा किया जाता है। एमक्यू-9 ड्रोन की क्षमता 48 घंटे तक लगातार उड़ान भरने की है और इसकी रेंज छह हजार नाटिकल मील से ज्यादा है। इसकी अधिकतम पेलोड क्षमता दो टन है। बता दें कि पिछले साल भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए दो एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन को एक साल की लीज पर लिया था। इनमें हथियार नहीं लगे थे।

इस बीच अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के एक शीर्ष कमांडर ने कहा है कि चीन के साथ लगती एलएसी पर हाल की गतिविधियों ने भारत को यह अहसास दिलाया है कि उसकी रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों के साथ सहयोगात्मक प्रयास के क्या मायने हो सकते हैं। 

'यूएस-इंडो पैसिफिक कमान' के कमांडर एडमिरल फिल डेविडसन ने सीनेट फॉरेन रिलेशन कमेटी के सदस्यों से कहा कि भारत ने लंबे समय से गुटनिरपेक्षता का रुख अपनाया हुआ था लेकिन चीन के साथ एलएसी पर हाल की गतिविधियों ने उसे एहसास करा दिया है कि उनकी अपनी रक्षा संबंध जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों के साथ सहयोगात्मक प्रयास के क्या मायने हो सकते हैं।

इस बीच स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आइएनएस करंज बुधवार को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुई। इस पनडुब्बी के आने से नौसेना की ताकत और बढ़ गई है। मुंबई के नवल डॉकयार्ड में एक कार्यक्रम में आइएनएस करंज को शामिल किया गया। पूर्व नौसेना प्रमुख वीएस शेखावत इस मौके पर मुख्य अतिथि थे। एडमिरल शेखावत पुरानी करंज पनडुब्बी को नौसेना में शामिल किए जाते वक्त भी मौजूद थे। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल थे। 

मेक इन इंडिया अभियान के तहत स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों का निर्माण यहां मझगांव डॉकयार्ड में चल रहा है। फ्रांस के नवल ग्रुप के सहयोग से इनका निर्माण किया जा रहा है। स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां डीजल-विद्युत चालित अटैक पनडुब्बियां हैं। इन्हें कलवरी श्रेणी के नाम से भी जाना जाता है। नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि आइएनएस करंज को वेस्टर्न नवल कमांड के बेड़े में शामिल किया जाएगा। यह पनडुब्बी मिसाइल, टॉरपीडो से लैस है, साथ ही समुद्र के भीतर ही माइन्स बिछाकर दुश्मन को तबाह करने की क्षमता रखती है।


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