Move to Jagran APP

इजरायल से हेरोन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइल खरीदेगा भारत, जानें क्यों हैं भारतीय वायुसेना के लिए खास

India China News हेरोन ड्रोन लगातार दो दिनों से अधिक समय तक उड़ान भरने और 10 हजार मीटर की ऊंचाई से टोल लेने में सक्षम है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 05:06 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 09:28 PM (IST)
इजरायल से हेरोन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइल खरीदेगा भारत, जानें क्यों हैं भारतीय वायुसेना के लिए खास
इजरायल से हेरोन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइल खरीदेगा भारत, जानें क्यों हैं भारतीय वायुसेना के लिए खास

नई दिल्ली, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ विवाद को देखते हुए भारत सीमा पर निगरानी रखने और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता को और मजबूत बनाने की तैयारी कर रहा है। इसी के तहत भारतीय फौज इजरायल से हेरोन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदेगी। सरकार द्वारा दी गई आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के तहत यह खरीद की जाएगी।

loksabha election banner

भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना में पहले से ही मानवरहित हेरोन ड्रोन (हेरोन यूएवी) हैं। भारतीय सैन्य दलों द्वारा लद्दाख सेक्टर में इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि वायु सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसके मौजूदा बेड़े में और हेरोन यूएवी की जरूरत थी। इसको पूरा करने के लिए खरीद की योजना बनाई जा रही है।

10 हजार मीटर की ऊंचाई से टोह लेने में सक्षम

हेरोन ड्रोन लगातार दो दिनों से अधिक समय तक उड़ान भरने और 10 हजार मीटर की ऊंचाई से टोल लेने में सक्षम है। भारतीय सेनाएं यूएवी के आ‌र्म्ड वर्जन को हासिल करने की तैयारी में है। साथ ही भारतीय वायुसेना के महत्वाकांक्षी 'ऑपरेशन चीता' के तहत मौजूदा यूएपी को अपग्रेड कर उन्हें लड़ाकू यूएवी में बदलने की भी योजना है।

दूसरी ओर, सेना भी इजरायल से और स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ख्ररीदने की तैयारी में है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सरकार की तरफ से मिले आपातकालीन वित्तीय अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सेना ने पिछले साल 12 लांचर और 200 स्पाइक मिसाइलें खरीदी थी। सूत्रों ने बताया कि दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए सेना और अधिक संख्या में ये मिसाइलें खरीदना चाहती है।

DRDO देसी एंटी टैंक मिसाइल बनाने पर कर रहा है काम

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भी देसी एंटी टैंक मिसाइल बनाने पर काम कर रहा है। इन मिसाइलों को सैनिकों द्वारा कंधे पर रखकर आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकेगा। इससे सेना की पैदल इकाई की 50 हजार से ज्यादा मिसाइलों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।

इसके अलावा चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेनाओं द्वारा पहले ही स्पाइस-2000 बम, असाल्ट राइफलें, गोला बारूद और मिसाइलें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.