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रूसी वैक्‍सीन स्‍पूतनिक लाइट के तीसरे चरण के ट्रायल को नहीं मिली भारत में इजाजत

भारत में रूसी वैक्‍सीन स्‍पूतनिक लाइट को तीसरे चरण की इजाजत नहीं दी गई है। इसका ट्रायल डॉक्‍टर रेड्डी ने करने की इजाजत मांगी थी। इससे पहले रूस की स्‍पूतनिक वी को भारत में मंजूरी मिल चुकी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 01 Jul 2021 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 01 Jul 2021 11:40 AM (IST)
रूसी वैक्‍सीन स्‍पूतनिक लाइट के तीसरे चरण के ट्रायल को नहीं मिली भारत में इजाजत
स्‍पूतनिक लाइट को नहीं मिली भारत में मंजूरी

नई दिल्‍ली ((एएनआई)। भारत में रूस की विकसित की गई कोरोना वैक्‍सीन स्‍पूतनिक लाइट को तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी नहीं मिली है। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया हे कि डॉक्‍टर रेड्डी लैब ने इसके तीसरे चरण के ट्रायल की इजाजत भारत की ड्रग रेगुलेटरी बॉडी से मांगी थी, जिसको ठुकरा दिया गया है। गौरतलब है कि रूस की विकसित कोरोना वैक्‍सीन स्‍पूतनिक-वी को पहले ही भारत आपात स्थिति में इस्‍तेमाल की इजाजत दे चुका है। इसकी दो खुराक दी जाएंगी। वहीं स्‍पूतनिक लाइट की केवल एक ही खुराक काफी होगी।

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आपको बता दें कि रूस ने स्‍पूतनिक वी के बाद सिंगल डोज वाली स्‍पूतनिक लाइट को दुनिया के सामने पेश किया गथा। इस वैक्‍सीनप को भी रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अंतर्गत गमेल्‍या नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने विकसित किया है। स्‍पूतनिक लाइट वैक्‍सीन में एडी26 (recombinant adenovirus) का इस्‍तेमाल किया गया है जिसको वैक्‍सीन वी की पहली डोज में इस्‍तेमाल किया गया था। जानकारी के मुताबिक डॉक्‍टर रेड्डी लैब इस ट्रायल में ये देखना चाहती थी कि ये वायरस से लड़ने में जरूरी हमारे इम्‍यून सिस्‍टम को कितना मजबूत करती है और वायरस से लड़ने में कितनी सहायक है।

सूत्रों का कहना है कि स्‍पूतनिक लाइट के ट्रायल को लेकर सब्‍जेक्‍ट एक्‍सपर्ट कमेटी ने इसलिए मंजूरी नहीं दी क्‍योंकि उन्‍हे लगता है कि ये कोई खास वैक्‍सीन नहीं है। इसलिए इसके आगे ट्रायल की जरूरत भी नहीं समझी गई है। आपको बता दें कि भारत में चल रहे वैक्‍सीनेशन ड्राइव में कोविशील्‍ड और कोवैक्‍सीन के अलावा रूस की स्‍पूतनिक वी को अब तक मंजूरी मिली है। स्‍पूतनिक वी को मई में इसके लिए मंजूरी मिली थी।

अर्जेंटीना में हुए एक शोध में वैक्‍सीन को 79 फीसद तक वायरस पर कारगर पाया गया था। शोध में 60-79 वर्ष की आयु वाले लोगों को शामिल किया गया था। रूस में हुए इसके तीसरे चरण के ट्रायल में भी इसको इतना ही कारगर पाया गया था। रूस में ये ट्रायल जहां 5 दिसंबर 2020-15 अप्रैल 2021 के बीच किया गयाथा वहीं अर्जेंटीना में ये 29 दिसंबर 2020 से 21 मार्च 2021 के बीच किया गया था।


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