लंबा खिंचेगा लद्दाख एलएसी का गतिरोध, भारत ने किया साफ लंबा डटे रहने के लिए सेना की तैयारी
भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के मद्देनजर भी साफ संकेत है कि गतिरोध लंबा चल सकता है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन का आक्रामक रवैया अभी कायम है। रक्षा मंत्रालय ने माना है कि बीते 5 मई के बाद चीनी सैनिकों ने गलवन घाटी समेत पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में एलएसी का अतिक्रमण कर बड़ी संख्या में सैनिकों के जमावाड़े को अंजाम दिया। उसका यह भी कहना है कि एलएसी पर चीनी आक्रामकता में कमी नहीं आयी है और एलएसी पर जारी सैन्य गतिरोध लंबा खिंचने की आशंका है। हालांकि, चीनी घुसपैठ पर आधिकारिक तरीके से सामने आए तथ्यों पर सरगर्मी बढ़ी तो रक्षा मंत्रालय ने वेबसाइट से दस्तावेज के इस अंश को चुपचाप हटा लिया।
भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के मद्देनजर भी साफ संकेत है कि गतिरोध लंबा चल सकता है। इसको देखते हुए ही भारतीय सेना ने एलएसी के मोर्चे पर लंबे समय तक डटे रहने की अपनी तैयारी शुरू कर दी है। एलएसी पर सेना ने इस समय 30 हजार से अधिक सैनिकों की तैनाती कर रखी है, जिन्हें भीषण ठंड के मौसम में भी वहां डटे रहने के लिए तैयार किया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने 4 जुलाई को अपने आधिकारिक वेबसाइट पर ताजा घटनाक्रम और गतिविधियों की जानकारी साझा करते हुए एक दस्तावेज अपलोड किया था। इसी दस्तावेज में 'एलएसी पर चीनी अतिक्रमण' शीर्षक के साथ पूर्वी लद्दाख में चीन के घुसपैठ की जानकारी साझा की गई। इसमें यह स्वीकार किया गया है किमई महीने से चीन अपनी आक्रामकता लगातार बढ़ाता जा रहा है। विशेष रूप से गलवन घाटी में 5 मई के बाद उसकी आक्रामकता कहीं ज्यादा रही है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार चीनी सैनिकों ने कुगरंग नाला, गोगरा और पैंगोंग लेक के उत्तरी किनारे पर 17-18 मई को अतिक्रमण किया।
इन घटनाक्रमों का हवाला देते हुए रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज में कहा गया है कि तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों को स्वीकार्य सहमति का रास्ता तलाशने को कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर वार्ता का दौर लगातार जारी है। फिर भी मौजूदा गतिरोध के लंबा खींचने के आसार हैं। दस्तावेज में साफ कहा गया है कि 'पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण से पैदा हुई परिस्थितियां लगातार संवदेनशील बनी हुई हैं।'
वहीं, सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की वार्ता चीन के अडि़यल रुख की वजह से बेनतीजा रही। बीते रविवार को हुई इस बैठक में एलएसी पर अतिक्रमण के स्थान से अपने सैनिकों को हटाने की बजाय चीन ने उल्टे भारत से पैंगोंग और फिंगर चार इलाके से अपने सैनिकों को और पीछे हटने को कहा। भारत ने चीन की इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है। फिंगर के इलाके में भारत दशकों से पैट्रोलिंग करता रहा है और स्पष्ट रूप से इसे अपना भू-भाग मानता है।
पांचवें दौर की वार्ता में चीन की दिखी इस आक्रामकता और उसके प्रस्तावों पर चीन स्टडीज ग्रुप की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में समीक्षा की गई। इसके बाद सैन्य हॉटलाइन के जरिये भारत ने चीन के प्रस्तावों को सिरे से ठुकराते हुए साफ कह दिया है कि एलएसी पर घुसपैठ के पूर्व की स्थिति की बहाली से ही गतिरोध का हल निकलेगा।