Move to Jagran APP

Rising India : कोरोना की पीड़ा कम करेगा भारतीय ‘बायो बेड’

Covid-19 मरीजों की पीड़ा को ग्वालियर के युवा तेजस अग्रवाल ने दूर कर दिखाया है। उनके बनाए बायो बेड और चेयर को सराहा गया है। स्मार्ट सिटी ने भी इस भारतीय बायो बेड को स्वीकृति दे दी है। पढ़ें ग्वालियर मप्र से नई दुनिया संवाददाता दीपक सविता की रिपोर्ट।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 06:00 AM (IST)
Rising India : कोरोना की पीड़ा कम करेगा भारतीय ‘बायो बेड’
एफआरपी (फाइबर, रीइन फोर्स प्लास्टिक) मैटीरियल से यह बायो बेड और बायो चेयर तैयार की गई है

जेएनएन, ग्वालियर। कोविड सेंटरों में मरीजों को आइसोलेट रखने की हिदायत है। नर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ भी सीधे संपर्क से बचते हैं और स्वजन भी। ऐसे में गंभीर मरीजों को बिना किसी सहारे नित्यकर्म में होने वाली परेशानी का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इस पीड़ा को ग्वालियर के युवा तेजस अग्रवाल ने दूर कर दिखाया है। उनके बनाए बायो बेड और चेयर को सराहा गया है। स्मार्ट सिटी ने भी इस भारतीय 'बायो बेड' को स्वीकृति दे दी है। पढ़ें ग्वालियर, मप्र से नई दुनिया संवाददाता दीपक सविता की रिपोर्ट। 

loksabha election banner

कोविड वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए बेड से उठकर स्वयं शौचालय तक जाना अत्यंत दुष्कर होता है। संक्रमण के कारण तीमारदार या स्वास्थ्य कर्मी भी इनके सीधे संपर्क में आने से बचते हैं। बेड पर ही पॉट इत्यादि की सहायता से नित्यकर्म सहज नहीं था क्योंकि पॉट को भी साफ करना पड़ता है। ऐसे में तेजस अग्रवाल ने मरीजों की इस पीड़ा को महसूस किया और लॉकडाउन में बायो बेड और चेयर जैसे विशेष सहायक उपकरण बना दिये। अब इन्हें सरकारी अस्पताल में आजमाया जा रहा है। जल्द ही स्टार्टअप के रूप में बड़े पैमाने पर उत्पादन कर आपूर्ति प्रारंभ की जाएगी। 

एफआरपी (फाइबर, रीइन फोर्स प्लास्टिक) मैटीरियल से यह बायो बेड और बायो चेयर तैयार की गई है। इस मॉडल को तेजस ने स्मार्ट सिटी के इन्क्यूबेशन सेंटर में ड्रीम हैचर योजना में प्रस्तुत किया। स्मार्ट सिटी प्राधिकरण ने इन्हें स्वीकृति प्रदान करने में देर नहीं लगाई और इनका ट्रायल जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में शुरू करा दिया। कोरोना संक्रमितों के लिए ही नहीं, यह बायो बेड और चेयर ऐसे मरीजों के लिए भी अत्यंत लाभदायक साबित हो रहे हैं, जो कि गंभीर रूप से बीमार हैं या अन्य समस्या से ग्रस्त या अशक्त होने के कारण स्वतः शौचालय तक नहीं जा सकते हैं। 

बीएम कॉम की शिक्षा हासिल करने के बाद तेजस अपने चाचा के साथ एफआरपी से बनने वाले मेडिकल उपकरणों और फर्नीचर निर्माण के कारोबार से जुड़ गए थे। कोरोना काल के दौरान उन्होंने अपने व्यवसाय के संबंध में कई अस्पतालों में सर्वे किया ताकि आवश्यकतानुरूप निर्माण कर सकें। इस दौरान उन्होंने देखा कि कोविड के गंभीर और बुजुर्ग मरीज बेहद तकलीफ में हैं। संक्रमण के कारण न तो उनके पास स्वजन आ सकते हैं और न ही पैरा मेडिकल स्टॉफ उस प्रकार सहयोग कर पाता है। तब उनके मन में ऐसे मरीजों को नित्यकर्म में होने वाली कठिनाई से मुक्ति दिलाने का विचार आया। उन्होंने ऐसे बायो बेड और बायो चेयर को डिजाइन किया, जो इस कठिनाई का पूरा समाधान देते हों। 

चार महीने की माथापच्ची और मेहनत के बाद  सितंबर तक उन्होंने मॉडल तैयार कर दिया। इसके बाद  इसे स्मार्ट सिटी के अफसरों को दिखाया। यहां पसंद आने पर इन उत्पादों के निर्माण के लिए स्टार्टअप का पंजीयन ड्रीम हैचर योजना के तहत करा दिया। प्रशासन ने तेजस के मॉडल को बतौर ट्रायल जिला अस्पताल भेजा और अब आगे की प्रक्रिया शुरू होना है।   

वेस्ट को खाद में बदल देता है 

तेजस बताते हैं कि इस बेड और चेयर की खासियत यह है कि गंभीर मरीज को शौच के लिए उठने की भी जरूरत नहीं है। बस बेड पर लेटे हुए ही इसमें लगा एक बटन दबाना है। इस बटन के दबाते ही पलंग सुविधाजनक कुर्सी में तब्दील हो जाएगा, साथ ही इसके बीच में लगा एक ढक्कन खुल जाएगा। नीचे बायो वेस्ट का टैंक लगाया गया है। इस टैंक में बायो डाइजेस्टर बैक्टीरिया डाले गए हैं, जो मल-मूत्र को खाद में बदल देते हैं। इसके साथ ही पलंग व कुर्सी में एक और टैंक बनाया गया है, जिसमें पानी भरते हैं। नित्यकर्म के बाद स्वच्छता के लिए भी आसान व्यवस्था बना दी गई है।   

जयति सिंह, सीईओ स्मार्ट सिटी, ग्वालियर ने कहा कि तेजस द्वारा तैयार बायो बेड और बायो चेयर को स्मार्ट सिटी ने स्टार्टअप के लिए स्वीकृति दी है। मुरार जिला अस्पताल में इसका ट्रायल किया जा रहा है। इसके सफल रहने के बाद इसे बड़े स्तर पर उत्पादन कर सभी जगह उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। 

(मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान)

मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तेजस अग्रवाल का नवाचार तारीफ के लायक है। बुजुर्ग वर्ग के मरीजों के लिये तो यह वरदान है। बायो वैस्ट टैंक के प्रयोग से खाद बनाने से पर्यावरण के लिये भी लाभदायक है। ऐसे अभिनव प्रयोगों की बदौलत भी हम इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। जागरण-फेसबुक का यह मंच ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित कर इसमें सराहनीय सहयोग कर रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.