सैन्य वापसी पर अब बैठकों का बदला मिजाज, सीमा पर भारतीय सेना कर रही चीन की सीधी निगरानी
चीन की तरफ से अपने सभी नए पोस्टों पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है। भारतीय सैन्य बल भी पूरी तरह से किसी भी अतिक्रमण का अब जवाब देने को तैयार हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में 30 और 31 अगस्त को जो हुआ है उसका असर दिखाई देने लगा है। सैनिकों की वापसी को लेकर जो गेम अभी तक चीन के पक्षकार खेल रहे थे अब भारत ने वही दांव उन पर आजमा दिया है। चीन को इस बात का एहसास हो गया है कि एलएसी के पास उसकी सैन्य तैनातियों की अब लगातार सीधी निगरानी भारतीय सैनिक कर रहे हैं।
सैन्य विवाद सुलझाने के लिए स्थानीय कमांडरों व कूटनीतिक स्तरीय वार्ता बेहद महत्वपूर्ण
कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि सैन्य विवाद को सुलझाने के लिए अगले कुछ दिनों में स्थानीय कमांडरों व कूटनीतिक स्तर पर होने वाली बातचीत बेहद महत्वपूर्ण है। मास्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच जिन पांच मुद्दों पर सहमति बनी है उसे स्थानीय कमांडरों को ही लागू करना है। इसी क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच अगली वार्ता की संभावना भी तलाशी जा रही है। भारत पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की वापसी की स्थिति को देखते हुए सीमा विवाद सुलझाने पर स्थापित विशेष प्रतिनिधियों (डोभाव व वांग) के बीच बातचीत को आगे बढ़ेगा।
चीन ने सीमा पर सैनिकों की संख्या और बढ़ा दी
सूत्रों का कहना है कि कार्प कमाडंरों के बीच होने वाली बातचीत के कई दौर के बावजूद भारतीय पक्ष को जुलाई, 2020 में इस बात का एहसास हो गया था कि चीन बातचीत को लेकर गंभीर नहीं है। विदेश मंत्रालय के स्तर पर भी चार दौर की बातचीत तब तक खत्म हो चुकी थी और उधर से भी कोई संकेत नहीं था कि सैन्य वापसी हाल फिलहाल होने वाली है। हकीकत में चीन का व्यवहार भी बदल रहा था और द्विपक्षीय वार्ताओं में पूरे प्रकरण की जिम्मेदारी वह भारत पर ही डालने लगा था। सीमा विवाद सुलझाने के लिए विदेश मंत्रालयों के बीच होने वाली बैठक में चीन ने यहां तक कहा कि उसके सैनिकों ने अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाया है। जून, 2020 के अंत में चीन ने गोगरा पोस्ट व हॉट स्प्रिंग एरिया से सैनिकों की वापसी की बात कही थी लेकिन जुलाई में वहां सैनिकों की संख्या और बढ़ा दी गई।
भारतीय सैन्य रणनीतिकार चीन को उसी की भाषा में देंगे जवाब
इन सब मुद्दों को देख कर भारतीय सैन्य रणनीतिकारों ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी की। इस बारे में नई दिल्ली में उच्च स्तर पर मंजूरी ली गई। बताया जाता है कि जिस स्थान पर भारतीय सैनिकों ने अपनी पहुंच बना कर बंकर डाला है उससे जुडी रणनीति को अमली जामा पहनाने में एक महीने का समय लगा। अलग- अलग स्थानों के लिए अलग-अलग सैन्य बलों को जिम्मेदारी दी गई।
भारतीय सेना ने ऊंचे स्थानों को पाने की रणनीति को मुकाम तक पहुंचाया
ऊंचे स्थानों के लिए पूरी तरह से अभ्यस्त स्पेशल फ्रंटियर पोस्ट, इंडो तिब्बत बोर्डर फोर्स और भारतीय सेना के विशेष बलों ने अपने-अपने स्तर पर रणनीति को मुकाम तक पहुंचाया। यह बेहद मुश्किल आपरेशन था जिसे पूरी तरह से गोपनीय रखना था और अपने सैनिकों को चीन की तरफ से बिछाये गये माइंस से भी बचाना था। गलवन नदी घाटी में चीनी सैनिकों ने फिंगर इलाके में अपनी पकड़ तब बनाई जब भारतीय सैन्य बल दूर-दर तक नहीं थे लेकिन इस बार भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के नाक के नीचे से यह कार्रवाई की। यहां से चीन के ब्लैक टॉप व हेलमेट जैसे रणनीतिक महत्व वाले इलाके की चौबीसों घंटे निगरानी हो सकती है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि वर्ष 1962 में इस इलाके पर हमला करने के लिए चीन ने जो रास्ता अपनाया था उस पर भी भारत सेना पूरी तरह से निगरानी कर सकेंगे।
भारतीय सैन्य बल चीन को जवाब देने को तैयार
सूत्रों के मुताबिक 30 व 31 अगस्त के बाद चीन की तरफ से अपने सभी नए पोस्टों पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है। भारतीय सैन्य बल भी पूरी तरह से किसी भी अतिक्रमण का अब जवाब देने को तैयार हैं। जिस इलाके पर भारत आगे बढ़ा है उसे हथियाने की कोशिश चीन की तरफ से दो-तीन बार असफल कोशिश भी की गई है।