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भारतीय सेना ने बंद किए सभी डेयरी फार्म, अब 20 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन का अन्य कार्यों में होगा उपयोग

लेफ्टिनेंट जनरल शशांक मिश्रा ने बताया कि इन डेयरी फार्मों के रखरखाव में सालाना करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे। वहीं दूध अब हर जगह उपलब्ध है इसलिए इन फार्मों को बंद करके उनकी जमीनों को सेना के विस्तार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 31 Mar 2021 08:23 PM (IST)Updated: Wed, 31 Mar 2021 08:23 PM (IST)
भारतीय सेना ने बंद किए सभी डेयरी फार्म, अब 20 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन का अन्य कार्यों में होगा उपयोग
डेयरी की सभी गायों को राज्यों को कम कीमत पर सौंपने का फैसला

नई दिल्ली, एजेंसियां। भारतीय सेना ने 132 सालों की सेवा के बाद अपने डेयरी फार्मों को बंद कर दिया है। रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में तीन साल पहले ही घोषणा कर दी थी। लेकिन बुधवार को सेना ने औपचारिक रूप से देश में अपने सभी 39 सैन्य डेयरी फार्मों को बंद कर दिया। इस संबंध में दिल्ली कैंट में एक फ्लैग सेरेमनी भी आयोजित की गई। इस फैसले के साथ सेना के डेयरी कार्यों में लगी 20 हजार एकड़ से भी अधिक जमीन अन्य कार्यों में उपयोग की जाएगी।

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लेफ्टिनेंट जनरल शशांक मिश्रा ने बताया कि भारत में सेना के उपयोग के लिए अंबाला, कोलकाता, श्रीनगर, आगरा, पठानकोट, लखनऊ, मेरठ, इलाहाबाद (प्रयागराज) और गुवाहाटी जैसे शहरों में डेयरी फार्म हैं। इनमें से कुछ फार्मों को तो ब्रिटिश इंडिया के समय में स्थापित किया गया था।

उन्होंने बताया कि इन डेयरी फार्मों के रखरखाव में सालाना करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे। वहीं, दूध अब हर जगह उपलब्ध है इसलिए इन फार्मों को बंद करके उनकी जमीनों को सेना के विस्तार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। डेयरी की सभी गायों को राज्यों को सौंपने का फैसला किया गया है। इस समय इन फार्मों में 25 हजार से अधिक मवेशी हैं। गोवंश को न्यूनतम कीमत पर सरकारी विभागों के फार्मों और सहकारी कोआपरेटिव की डेयरियों को दे दिया जाएगा। जबकि इन डेयरी फार्मों में काम करने वाले कर्मचारियों को अन्य संबंधित विभागों में भेजा जाएगा।

उन्होंने बताया कि पहला फार्म एक फरवरी 1889 को इलाहाबाद में स्थापित किया गया था। देश में आजादी के बाद से कुल 130 डेयरी फार्म हैं। 1970 के बाद से वर्गीज कुरियन ने ऑपरेशन फ्लड शुरू किया था, जो श्वेत क्रांति लेकर आया। मिश्रा ने यह भी कहा कि सैन्य फार्मों का दुग्ध उत्पादन में बड़ा योगदान है। इससे सेना को देश के सुदूर इलाकों में दूध उपलब्ध कराने में सफलता मिली है। इन मिलिट्री फार्मों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। अब इसके झंडे को उतारा गया है जो बहुत ही भावुक क्षण है।


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