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अरुणाचल के गहराई वाले क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आवाजाही से भारतीय सेना सतर्क, डटी मोर्चे पर

भारतीय एजेंसियां अरुणाचल प्रदेश के गहराई वाले क्षेत्रों में चीन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 06:13 PM (IST)
अरुणाचल के गहराई वाले क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आवाजाही से भारतीय सेना सतर्क, डटी मोर्चे पर
अरुणाचल के गहराई वाले क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आवाजाही से भारतीय सेना सतर्क, डटी मोर्चे पर

नई दिल्ली, एएनआइ। चीनी सेना द्वारा दक्षिणी पैंगोंग में की गई घुसने की कोशिश को नाकाम करने के बाद भारतीय एजेंसियां अन्य क्षेत्रों खासतौर अरुणाचल प्रदेश पर नजर बनाए हुए है। जानकारी के मिली है कि प्रदेश के गहराई वाले क्षेत्रों में चीन की पीपुल्स लिबरल आर्मी की गतिविधियां देखी गई हैं।

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न्यूज एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने बताया कि, "चीन के साथ लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक लगभग सभी क्षेत्रों में कड़ी चौकसी बरती जा रही है क्योंकि दक्षिणी पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीन को करारा झटका लगा है और वह नए सिरे से घुसपैठ करने की कोशिश कर सकता है।"

बता दें कि मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मानसून सत्र में लोकसभा में भारत-चीन तनाव पर अपना बयान दिया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों को यथास्थिति बनाए रखना चाहिए और शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहिए। चीन भी यही कहता है लेकिन तभी 29-30 अगस्त की रात्रि में फिर से चीन ने पैंगोंग में घुसने की कोशिश की लेकिन हमारे सैनिकों ने प्रयास विफल कर दिए। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सीमाएं सुरक्षित हैं और हमारे जवान मातृभूमि की रक्षा में डटे हुए हैं।

सूत्रों ने एजेंसी को बताया, "चीन से लगे लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक लगभग सभी क्षेत्रों में कड़ी चौकसी बरती जा रही है क्योंकि चीनी सेना का दक्षिणी पैंगोंग त्सो क्षेत्र में घुसने की कोशिश बड़ा झटका लगा है इसलिए वो प्रवेश करने के लिए नए सिरे से प्रयास कर सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में भारतीय सुरक्षा बल आसफिला क्षेत्र के सामने के क्षेत्रों, ट्युटिंग एक्सिस और फिश टेल-2 क्षेत्र के विपरीत के क्षेत्रों में चीनी सैन्य आंदोलनों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में चीनी सैनिकों को गहराई वाले क्षेत्रों (एलएसी से लगभग 20 किलोमीटर) में उनके द्वारा बनाए गए रास्तों का उपयोग करते हुए देखा गया है।


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