MiG- 27 Retires: अपनी अंतिम उड़ान के बाद विदा हुआ मिग 27, भावुक हुए उड़ाने वाले पायलेट्स
जोधपुर एयर बेस पर भव्य विदाई समारोह में लड़कू विमान मिग- 27 को अंतिम उड़ान के बाद उसे वाटर कैनन सलामी दी गई। इस दौरान मिग उड़ाने वाले वायुसेना के 50 पायलेट्स भी मौजूद थे।
जोधपुर, रंजन दवे। इंडियन एयर फोर्स से फाइटर जेट मिग- 27 का सफर अब खत्म हो गया है। जोधपुर एयर बेस से अपनी पहली उड़ान भरने वाले मिग- 27 लड़ाकू विमान ने यहीं से अपनी अंतीम उड़ान भी भरी। एयरबेस पर हुए भव्य विदाई समारोह में बहादुर नाम से विख्यात इस लड़ाकू विमान ने भारतीय वायुसेना को अलविदा कह दिया।
कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के लिए प्रसिद्ध इन विमानों ने बेहद कम ऊंचाई पर गरजते हुए बेहतरीन फोरमेशन बनाकर एक बार फिर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। एयरफोर्स के आला अधिकारियों सहित करीब पचास पूर्व पायलट्स इस लड़ाकू विमान की विदाई के गवाह बने। सभी सातों फाइटर के वापस लौटने पर लोगों की कर्तल ध्वनि के बीच सभी को वाटर कैनन सलामी दी गई।
जोधपुर एयर बेस पर हुए भव्य समारोह में सबसे पहले वायुयोद्धाओं ने अपनी शानदार परेड से लोगों का दिल जीत लिया। इसके बाद एक-एक कर सात मिग- 27 विमानों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अपनी उड़ान पर रवाना हुए। इस दौरान सूर्यकिरण टीम ने भी उड़ान भरी। मिग- 27 जहां आसमान की ऊंचाइयां नाप रहे थे,तो वहीं, सूर्यकिरण टीम हैरत अंगेज करतब दिखा सभी का मन मोह रही थी। इसके बाद वेस्टर्न कमांड के चीफ एयर मार्शल बी सुरेश के नेतृत्व में सातों मिग- 27 विमानों ने कम ऊंचाई पर अलग अलग फोरमेशन बनाते हुए आखिरी बार अपना जलवा दिखाया।
विंग स्विंगर्स के नाम से जाने जाते हैं मिग- 27
भारतीय वायुसेना ने रूस से 1984 में खरीदे इन लड़ाकू विमानों को बहादुर नाम दिया था। इन्होंने करगिल युद्ध 1999 में मुख्य भूमिका निभाई थी। विभिन्न कोण में उडने के कारण इन्हें विंग स्विंगर्स भी कहते हैं। मिग- 27 एक ग्राउण्ड अटैक एयरक्राफ्ट है जिसे 2006 में अपग्रेड किया गया था। मिग- 27 का प्योर वेरिएंट, मिग- 23 बीएन और मिग- 23 एमएफ पहले से ही रिटायर हो चुके हैं। भारत से इनके रिटायरमेंट के बाद अब विश्व में केवल कजाकिस्तान सेना के पास ही मिग- 27 बचा हुआ है।
फाइटर को विदा करते हए भावक हुए पायलट्स
करीब 4 दशक तक एयरफोर्स में तैनात मिग- 27 को जोधपुर एयरबेस पर विदाई दी गई। अपने बहादुर की विदाई को यादगार बनाने के लिए वायुसेना ने 50 से ज्यादा पूर्व पायलट्स को आमंत्रित किया था। लंबे वक्त तक साथी रहे मिग 27 को विदा देते वक्त पायलट्स भावुक हो गए। इस दौरान उनकी आंखों से आंसू निकाल आए। 38 साल तक वायुसेना की रीड़ की हड्डी रहे मिग- 27 से इसके पायलट्स का कितना मजबूत रिश्ता बन गया था इसकी बानगी इसके विदाई समारोह में नजर आई। जोधपर में वायसेना के बेड़े में शामिल मिग- 27 जैसे ही अपनी अंतिम उड़ान से लौटे स्क्वाड्रन- 29 के सभी पायलट्स उनकी तरफ दौड़ पड़े। उन्होंने उन पायलट्स को गले लगाया।
अब क्या होगा इन विमानों का?
ये विमान फिलहाल जोधपर एयर बेस पर ही खडे रहेंगे। इनके रिटायरमेंट की जानकारी रक्षा मंत्रालय को भेजने के बाद रक्षा मंत्रालय कई बार विभिन्न शहरों या संस्थानों में प्रतीक के तौर पर पुराने विमानों को प्रदर्शन लिए रखने के लिए उपलब्ध कराता है । रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर किसी अन्य स्थान पर भेजने से पूर्व इसके महत्वपूर्ण कलपुर्जे बाहर निकाल लिए जाएंगे ।