हवाई ताकत बढ़ाने को वायुसेना ने बनाया 10 साल का रोडमैप, विजन 2030 के लिए तय किए लक्ष्य
तीन दिन तक चली कांफ्रेंस में भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडरों ने देश की हवाई ताकत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करने के लिए अगले 10 साल का विस्तृत रोडमैप तैयार किया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। तीन दिन तक चली कांफ्रेंस के आखिरी दिन शुक्रवार को भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडरों ने देश की हवाई ताकत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करने के लिए अगले 10 साल का विस्तृत रोडमैप तैयार किया ताकि उत्तरी और पश्चिमी मोर्चो के विरोधियों समेत उभरते हुए खतरों का सामना किया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना के कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद, देश के समक्ष प्रमुख अल्प व दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौतियों और भारत के पड़ोस में शक्ति के जटिल भू-राजनीतिक खेल पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।
अपने समापन भाषण में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने तेजी से क्षमता बढ़ाने, सभी हथियारों व उपकरणों की कार्यावधि में बढ़ोतरी करने और कम से कम समय में नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया। प्रवक्ता ने बताया कि एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने वायुसेना के लिए विजन-2030 के बारे बात की और आगामी दशक में इसमें बदलाव लाने के लक्ष्य तय किए। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलती दुनिया में उभरते हुए खतरों की प्रकृति को पहचानना बहुत जरूरी है।
कमांडरों ने इस दौरान कई मसलों पर विचार-विमर्श किया और ऑपरेशनल तैयारी व सुरक्षा खतरों से निपटने की रणनीतियों की समीक्षा की। प्रवक्ता ने कहा, 'उन्होंने वर्तमान हालात पर चर्चा की और उसके बाद अगले दशक के लिए वायुसेना में बदलाव के रोडमैप की विस्तार से समीक्षा की।' इसके अलावा उन्होंने अगले महीने की शुरुआत में लद्दाख सेक्टर में छह राफेल विमानों की पहली खेप को तैनात करने पर भी विचार किया। इन विमानों के 29 जुलाई तक भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने की संभावना है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने भी कांफ्रेंस को संबोधित किया। बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वायुसेना को हर वक्त अलर्ट मोड में रहने को कहा था। वहीं वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि भारतीय वायुसेना किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। फिलहाल, वायु सेना फ्रांस से मिलने वाले राफेल को रूसी लड़ाकू विमानों के बेड़े के साथ तैनात करने पर काम कर रही है।