Squadron Leader Ravi Khanna: शहादत के 29 साल बाद मिला स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना को शहीद का दर्जा
Squadron Leader Ravi Khanna भारतीय वायु सेना ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना का नाम शामिल करने के लिए मामले को मंजूरी दी है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। वायुसेना ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जवानों की सूची में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना के नाम को शामिल करने की मंजूरी दे दी है। इस तरह शहादत के 29 साल बाद उन्हें शहीद का दर्जा मिल गया।
वायुसेना अधिकारियों ने लिया यह फैसला
सूत्रों के मुताबिक, 'वायुसेना मुख्यालय ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के वायुसेना जवानों की सूची में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना के नाम को शामिल करने की मंजूरी प्रदान कर दी है।' सितंबर के अंतिम सप्ताह में वायुसेना अधिकारियों द्वारा यह निर्णय लिया गया था। दरअसल, किसी न किसी कार्रवाई या युद्ध में मारे गए जवानों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की दीवारों पर उत्कीर्ण हैं। इसमें उनके साहस की गाथा का भी वर्णन है।
जेकेएलएफ आतंकियों ने की थी हत्या
गौरतलब है कि 25 जनवरी 1990 के दिन प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) आतंकियों ने रवि खन्ना समेत वायुसेना के चार कर्मचारियों की हत्या कर दी थी। जेकेएलएफ प्रमुख रहे यासीन मलिक पर खन्ना की हत्या में शामिल होने का आरोप है। इसी मामले में 31 अगस्त 1990 को सीबीआइ ने टाडा कोर्ट में यासीन मलिक के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। आतंक के वित्त पोषण मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा गिरफ्तार किया गया मलिक फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। उसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विशेष अदालत में पेश किया जाता है।
पति को न्याय दिलाने के लिए फूलनदेवी की तरह लड़ीं निर्मल
पति को न्याय दिलाने और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर उनके नाम को लेकर रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने कड़ा संघर्ष किया। जम्मू निवासी निर्मल की शादी 10 सितंबर 1978 को अमृतसर के रवि से हुई थी। 1987 में रवि को स्टाफ कालेज ट्रेनिंग के लिए चुना गया था, जिसके चलते कश्मीर घाटी में उनको तैनाती मिली। 25 जनवरी 1990 को आतंकियों ने रवि की हत्या कर दी।
पति की मौत के 10 महीने के अंदर अमृतसर में रहने वाले उनके माता-पिता का निधन हो गया। निर्मल कहती हैं कि मुझे दो छोटे बच्चों के साथ बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लगभग साढ़े चार साल तक पेंशन के बिना गुजारा करना पड़ा, लेकिन मैंने अपनी पूरी लड़ाई फूलन देवी की तरह लड़ी। निर्मल ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि न्याय मिलने से पहले उनकी आंखें बंद नहीं होंगी।
राज्यसभा एमपी ने किया था अनुरोध
कुछ दिनों पहले राज्यसभा के सांसद राजीव चंद्रशेखर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना का नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शामिल करने का अनुरोध किया था। निर्मल खन्ना पिछले तीन दशक से न्याय के लिए लड़ रही हैं।
निर्मल खन्ना उस हत्या कांड की गवाह हैं। उन्होंने बताया था कि उनके पति के शरीर में यासीन मलिक ने 27 गोलियां मारी थीं। पिछले 29 सालों से मैं न्याय के लिए लड़ रही हूं, लेकिन इस दिशा में अब तक सरकार असफल रही है। रिपोर्ट में दावा गया था कि यासीन मलिक मौके पर हथियारों से लैस होकर हीरोहोंडा मोटर साइकिल और मारुति जिप्सी से पहुंचा था। इस हमले में रवि खन्ना और तीन अन्य अफसर मारे गए थे और 10 लोग घायल हो गए थे।