भारत ने माना चीन के साथ उसके संबंध बेहद पेचीदा
भारत ने माना है कि चीन के साथ उसके संबंध बेहद पेचीदा हैं, लेकिन इसका असर एनएसजी के मुद्दे पर नहीं पड़ना चाहिए।
नई दिल्ली (पीटीआई)। भारत ने कहा है कि चीन के साथ उसके संबंध 'पेचीदा' हैं। आतंकवाद और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) जैसे मुद्दों को भारत-चीन के बीच मतभेद का कारण नहीं बनने देना चाहिए। भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों को संबंधों में निरंतरता बनाए रखने के लिए परस्पर रणनीतिक परिपक्वता दिखानी चाहिए। संबंधों की व्याख्या इस रूप में नहीं की जा सकती कि एक को लाभ हो रहा हो तो दूसरे को नुकसान।
आतंकवादी नेताओं, संगठनों पर प्रतिबंध और नागरिक उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश ऐसे विषय नहीं जो चीन जैसे सहयोगी के साथ विवाद या तकरार का कारण बन सकें। पत्रकार वार्ता में जयशंकर ने दो प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित रखा। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी व जैशे मुहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी लगवाने के भारत के प्रयासों में चीन बाधा बना हुआ है। दूसरे, एनएसजी में भारत के प्रवेश को भी चीन रोकने में जुटा है।
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उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों पर अत्यधिक गंभीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है। तीन दशकों से संबंधों में सुधार के प्रयास हो रहे हैं और आज ये संबंध असामान्य के दायरे से बाहर आ चुके हैं। चीन को अब भारत के हितों के प्रति सकारात्मक और प्रोत्साहक होना चाहिए। दोनों देशों के बीच विवाद का अब कोई कारण नहीं। उन्होंने कहा कि संप्रभुता समेत दोनों के बीच कठिन समस्याओं की भी अनदेखी नहीं की गई। हाल ही में कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों ने सहयोगी की भूमिका निभाई। कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें दोनों के लिए व्यापक संभावनाएं हैं।
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