मुंबई हमले पर नवाज शरीफ के कबूलनामे को भारत बनाएगा हथियार
विदेश मंत्रालय से जुड़े जानकारों के मुताबिक पहली बार पाकिस्तान की तरफ से इस प्रकार की स्वीकारोक्ति आयी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों के हाथ पर पूर्व पीएम नवाज शरीफ की स्वीकारोक्ति पर पाकिस्तान में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां पाकिस्तान के विपक्षी दल नवाज शरीफ को देशद्रोही करार करने में लगे हैं वही दूसरी तरफ पाकिस्तान की सेना भी शरीफ को घेरने में जुट गई है। ऐसे में सवाल यह है कि भारत के लिए शरीफ की इस साफगोई का कोई मतलब भी है या नहीं? खास तौर पर तब जब भारत पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार मुहिम छेड़े हुए है। भारत ने सार्वजनिक तौर पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन विदेश मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि निश्चित तौर आगे चल कर शरीफ का यह बयान भारत के लिए एक अहम हथियार साबित होगा।
विदेश मंत्रालय से जुड़े जानकारों के मुताबिक पहली बार पाकिस्तान की तरफ से इस प्रकार की स्वीकारोक्ति आयी है। आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के पक्ष का इससे बड़ा समर्थन नहीं मिल सकता। वैसे भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाना भारतीय कूटनीति का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हाल के महीनों में पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के हर एक भाषण में पाकिस्तान के संरक्षण में फल फूल रहे आतंकवाद पर करारा हमला बोला जाता है। अब भारत के पास अपनी बात के समर्थन में शरीफ के बयान को पेश करने का मौका होगा। आने वाले दिनों में शंघाई सहयोग संगठन (सीएसओ) की शीर्ष बैठक में भी आतंकवाद का मुद्दा अहम रहेगा। इस बैठक में पाकिस्तान के पीएम अब्बासी भी उपस्थित होंगे। हो सकता है कि मोदी पाक के पूर्व पीएम शरीफ के बयान का हवाला देते हुए अपनी बात रखे।
इसी तरह से अभी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में कूलभूषण जाधव का मामला भी चल रहा है जिस पर जल्द ही अंतिम सुनवाई शुरु होने वाली है। जिसमें भारत शरीफ के बयान और उसके बाद पाकिस्तान में उपजे हालात को आधार बना सकता है। भारत ने पिछले महीने जाधव मामले में आइसीजे में नई याचिका दायर की है। विदेश मंत्रालय को अब भरोसा है कि शरीफ की स्वीकारोक्ति ने जिस तरह से पाकिस्तान सेना के आतंकी चेहरे को बेनकाब किया है उससे अब उसके तर्कों को और बल मिलेगा। भारत का कहना है कि जाधव के खिलाफ एक काल्पनिक मामला दायर कर पाकिस्तान सेना के एक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही भविष्य में जब भारत और पाकिस्तान के बीच मुंबई हमले की जांच पर कोई बातचीत होगी उसमें भी भारत शरीफ के बयान को आधार बना सकता है। इस बारे में भारत व पाकिस्तान के बीच अंतिम बातचीत दिसंबर, 2015 में इस्लामाबाद में हुई थी जिसमें यह तय हुआ था कि पाकिस्तान जल्द ही उन लोगों के आवाज के नमूने सौंपेगा जिन पर भारत मुंबई हमले का साजिश रचने का आरोप लगाता है। लेकिन उसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ने के बाद फिर कोई वार्ता नहीं हुई।