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भविष्य की जंग के लिए मानवरहित टैंक, पोत व विमान बनाएगा भारत

महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना के तहत सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के इस्तेमाल पर काम शुरू कर दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 20 May 2018 10:36 PM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 10:36 PM (IST)
भविष्य की जंग के लिए मानवरहित टैंक, पोत व विमान बनाएगा भारत
भविष्य की जंग के लिए मानवरहित टैंक, पोत व विमान बनाएगा भारत

नई दिल्ली, प्रेट्र। एक महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना के तहत सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के इस्तेमाल पर काम शुरू कर दिया है। परियोजना का मकसद सुरक्षा बलों को मानवरहित टैंक, पोत, विमानों और रोबोटिक हथियारों से लैस करके उनकी सामरिक तैयारियों में इजाफा करना है, ताकि भारतीय थल, वायु और नौसेना को भविष्य की जंग के लिहाज से तैयार किया जा सके। बता दें कि चीन भी अपनी सेना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक इस्तेमाल के लिए तेजी से निवेश बढ़ा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कुशल मशीनों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान का क्षेत्र है।

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- सशस्त्र बलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर काम शुरू

- टाटा संस के प्रमुख चंद्रशेखरन की अध्यक्षता में कार्यबल दे रहा परियोजना को अंतिम रूप

- जून तक आ जाएंगी कार्यबल की सिफारिशें, तब सरकार परियोजना को बढ़ाएगी आगे

सचिव (रक्षा उत्पादन) अजय कुमार ने बताया, भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही है। हमें अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है जो ज्यादा से ज्यादा तकनीक आधारित, स्वचालित और रोबोटिक प्रणाली पर आधारित होगा। इसीलिए सरकार ने सेना के तीनों अंगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत करने का फैसला किया है क्योंकि यह भविष्य के युद्ध की जरूरत को देखते हुए एक 'अहम क्षेत्र' होगा।

टाटा संस के प्रमुख एन. चंद्रशेखरन की अध्यक्षता वाला एक उच्चस्तरीय कार्यबल परियोजना की बारीकियों एवं रूपरेखा को अंतिम रूप दे रहा है। कार्यबल की सिफारिशें जून तक आ जाएंगी और तब सरकार परियोजना को आगे बढ़ाएगी। सशस्त्र बल और निजी क्षेत्र 'भागीदारी मॉडल' के तहत परियोजना को कार्यान्वित करेंगे। उन्होंने बताया कि भविष्य के युद्धों में मानवरहित विमान, मानवरहित पोत एवं मानवरहित टैंक और हथियार प्रणाली के रूप में स्वचालित रोबोटिक राइफल का व्यापक इस्तेमाल होगा। देश को इनके लिए क्षमताओं का निर्माण करने की जरूरत है।

सुरक्षा बलों पर दबाव होगा कम

सैन्य सूत्रों ने बताया कि परियोजना में सेना के तीनों अंगों के लिए मानवरहित रक्षा प्रणालियों की व्यापक श्रृंखला का उत्पादन शामिल होगा। दूसरी शीर्ष विश्व सैन्य शक्तियों की तरह ही भारतीय सुरक्षा बल भी अपनी सामरिक तैयारियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं। चीन एवं पाकिस्तान से लगी देश की सीमाओं की निगरानी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से सशस्त्र बलों पर दबाव महत्वपूर्ण रूप से कम हो सकता है।

चीन, अमेरिका और पश्चिमी देश भी कर रहे भारी निवेश

चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुसंधान एवं मशीनों से जुड़े अध्ययन में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। पिछले साल उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संबंधी नवोन्मेष के लिहाज से देश को 2030 में दुनिया का केंद्र बनाने की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की थी। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोपीय संघ भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में काफी निवेश कर रहे हैं। अमेरिका मानवरहित ड्रोन के सहारे अफगानिस्तान और उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में आतंकियों के गुप्त ठिकानों को निशाना बनाता रहा है। मानवरहित ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से काम करते हैं।

भारत में आइटी उद्योग मजबूत, तेजी से होगा विकास

परियोजना को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे अजय कुमार ने कहा, 'भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) उद्योग का आधार काफी मजबूत है। यह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संबंधी क्षमताओं के विकास के लिहाज से हमारी सबसे बड़ी ताकत होगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) परियोजना में एक प्रमुख भागीदार होगा और हमें भागीदारी के एक मॉडल पर काम करने की जरूरत है जो उद्योग की क्षमताओं का पूरी तरह से लाभ उठाते हुए क्रेता-विक्रेता प्रस्ताव से अलग होना चाहिए।'


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