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संयुक्त राष्ट्र में जावड़ेकर ने किया वैदिक मंत्रोच्चार, जलवायु परिवर्तन पर बोलते हुए यजुर्वेद के श्लोक का किया उल्लेख

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहली बार देववाणी संस्कृत का श्लोक गूंजा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संस्कृत में शुक्ल यजुर्वेद के शांति पाठ मंत्र के साथ अपने विचारों को शुरू किया। इस मंत्र के माध्यम से जगत के समस्त जीवों वनस्पतियों और प्रकृति में शांति बनी रहे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 05:43 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 05:43 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र में जावड़ेकर ने किया वैदिक मंत्रोच्चार, जलवायु परिवर्तन पर बोलते हुए यजुर्वेद के श्लोक का किया उल्लेख
सुरक्षा परिषद में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने संस्कृत में शुक्ल यजुर्वेद के मंत्र के साथ भाषण शुरू किया।

नई दिल्ली, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पहली बार देववाणी संस्कृत का श्लोक गूंजा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संस्कृत में शुक्ल यजुर्वेद के शांति पाठ मंत्र के साथ अपने विचारों को शुरू किया। जावड़ेकर ने जलवायु परिवर्तन पर UNSC की बहस और विश्व शांति के लिए इसके निहितार्थ पर संबोधन करते हुए, यूके के पीएम बोरिस जॉनसन और अन्य गणमान्य लोगों के लिए शुक्ल यजुर्वेद के संस्कृत श्लोक का इस्तेमाल किया। 

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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मंत्र का अनुवाद करते हुए कहा कि इसमें जगत के समस्त जीवों, वनस्पतियों और प्रकृति में शांति बनी रहे, इसकी प्रार्थना की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष, आकाश, पृथ्वी में संतुलन होने दो, पौधों में, पेड़ों में विकास होने दो, भगवान में अनुग्रह और आत्मा में आनंद आने दो। हर चीज में संतुलन रखें और ऐसी शांति हम में से हर एक के पास हो, इस वैदिक संदेश से यह स्पष्ट होता है कि पर्यावरण सभी जीवित प्राणियों का है, इसलिए इसे सभी के संरक्षण की आवश्यकता है, और सभी के कल्याण के लिए जरूरत है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि जलवायु के संबंध में कार्रवाई का विचार जलवायु महत्‍वाकांक्षा का लक्ष्‍य वर्ष 2050 से आगे खिसकाना नहीं होना चाहिए। देशों के लिए वर्ष 2020 से पहले की अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करना अहम है। जावड़ेकर ने कहा कि हालांकि, जलवायु परिवर्तन सीधे या स्वाभाविक रूप से हिंसक संघर्ष का कारण नहीं बनता है। उन्‍होंने कहा कि इसके सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारकों के साथ मिलने से यह संघर्ष के कारकों को बढ़ा सकते हैं। इसका शांति, स्थिरता और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव होता है।

उन्होंने कहा कि कोई ऐसी सर्वमान्य पद्धति नहीं है, जिसके माध्यम से जलवायु परिवर्तन और संघर्ष का आकलन किया जा सके। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि पहले 2020 तक जलवायु परिवर्तन के लिए सभी देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जी-20 में भारत ही ऐसा देश है, जिसने जलवायु परिवर्तन के अपने लक्ष्यों को पूरा किया है। लक्ष्यों को ही पूरा नहीं किया, बल्कि पेरिस समझौते से आगे जाकर काम किया। भारत सौर ऊर्जा के मामले में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाला देश है।


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