आंकड़ों के जरिये जानें कोरोना काल में कुछ राज्यों में बेरोजगारी घटी, तो कुछ में बढ़ी
Unemployment Rate In India प्रवासी कामगारों के अपने गृह राज्यों में लौटने से बेरोजगारी बढ़ गई है। साथ ही इसका प्रभाव बड़ी संख्या में उद्योगों वाले राज्यों पर भी पड़ा है।
नई दिल्ली। Unemployment Rate In India लॉकडाउन के दो महीने के दौरान देश में बेरोजगारी को लेकर राज्यों में अलगअलग प्रभाव देखने को मिला है। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों में लौटे हैं। ऐसे में देश के कुछ राज्यों में बेरोजगारी की दर बढ़ी है तो कुछ राज्यों में इसमें कमी दर्ज की गई है। प्रवासी कामगारों के अपने गृह राज्यों में लौटने से बेरोजगारी बढ़ गई है। साथ ही इसका प्रभाव बड़ी संख्या में उद्योगों वाले राज्यों पर भी पड़ा है। महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में यह समस्या बढ़ी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआइई) ने आंकड़ों के जरिये बताया है कि देश के किन राज्यों में बेरोजगारी की क्या स्थिति है।
60 फीसद झारखंड में बेरोजगार : झारखंड में रोजगार की स्थिति बेहद खराब है। यहां पर 10 में से छह लोग बेरोजगार हैं। वहीं बिहार और दिल्ली की स्थिति भी बेहद खराब है। यहां पर बेरोजगारी की दर 40 फीसद से अधिक है। सभी बड़े राज्यों में उच्च बेरोजगारी है। यह दर पिछले साल की अपेक्षा काफी अधिक है और इसका संबंध लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को लगे हालिया झटके से है।
उद्योगों वाले राज्यों में ज्यादा गिरावट : इसके अतिरिक्त अन्य बड़े राज्यों में मई के दौरान बेरोजगारी की दर 20 से 40% रही है। यह आंकड़ा फरवरी 2020 और यहां तक की मई 2019 से भी अधिक है। पंजाब में सर्वाधिक तेजी देखी गई। इसके बाद तेलंगाना और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का नंबर आता है। यद्यपि, लॉकडाउन के दौरान देश के बड़े औद्योगिक राज्यों में बेरोजगारी में गिरावट दर्ज की गई है। यह उन राज्यों से प्रवासियों के जाने के कारण हो सकता है, जो उन राज्यों के जॉब मार्केट का हिस्सा थे। तमिलनाडु में अप्रैल के बाद से काफी गिरावट देखी गई है। इसके बाद ओडिशा में 14.2%, कर्नाटक में 9.4 फीसद और हरियाणा में 7.5 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।
कुछ राज्यों में बेरोजगारी की दर स्थिर या बढ़ी : अप्रैल और मई 2020 के मध्य कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और राजस्थान में बेरोजगारी की दर या तो स्थिर रही है या फिर बढ़ी है। बंगाल में दर में बढोतरी नहीं हुई है, यद्यपि यह फरवरी के मुकाबले तीन गुना बढ़कर 4.9% हुई है, जबकि ओडिशा में अप्रैल से 14.2 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। इसके पीछे मजदूरों के राज्य छोड़ने को कारण माना जा रहा है।
नौकरी नहीं ढूंढ रहे बेरोजगार : मई में बेरोजगारी की दर 24 फीसद के करीब थी। श्रम शक्ति के योगदान की दर इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा पुन: प्राप्त करती प्रतीत होती है। यह मई के आखिर में 38.7 फीसद तक पहुंच गई, जबकि अप्रैल में यह 35.4 फीसद थी। अप्रैल में करीब 12.2 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई। लेकिन सभी नई नौकरी की तलाश नहीं कर रहे हैं। बेरोजगारों में से सिर्फ 5.3 करोड़ लोग नौकरी ढूंढ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि शेष लोग नौकरी करना चाहते हैं, लेकिन वे सक्रियता से नौकरी नहीं ढूंढ रहे हैं। संभव है कि वे बड़े पैमाने पर गई नौकरियों के कारण हतोत्साहित हों। ऐसे लोगों की संख्या 7.7 करोड़ है, जो 2019-20 में 1.2 करोड़ थी, जबकि अप्रैल में यह 8.9 करोड़ रही।