म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल के साथ भारत बनाएगा ऊर्जा नेटवर्क
बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के साथ ऊर्जा क्षेत्र में जुटे भारत को इन देशों की तरफ से बेहद सकारात्मक संकेत मिले हैं।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। तीन अहम पड़ोसी देशों बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के साथ ऊर्जा क्षेत्र में साझा भविष्य तलाशने की कूटनीतिक कोशिश में जुटे भारत को इन देशों की तरफ से बेहद सकारात्मक संकेत मिले हैं। इन तीनो देशों ने उच्चस्तर पर भारत को आश्वासन दिया है कि वह ऊर्जा नेटवर्क बनाने के भारत के प्रस्ताव से सहमत है। इसके साथ ही म्यांमार और बांग्लादेश की तरफ से वहां के ऊर्जा भंडारों में भारतीय कंपनियों को बड़ी भागीदारी देने के भी सकारात्मक संकेत दिए गए हैं। भारत ने जिस तरह से पिछले कुछ वर्षो से म्यांमार और बांग्लादेश के साथ हर स्तर पर द्विपक्षीय रिश्तों को हर स्तर पर सुधारने की कोशिश की है उसकी वजह से ये देश अब अपने ऊर्जा भंडारों के द्वार भारतीय कंपनियों के लिए ज्यादा खोलने को तैयार हैं।पिछले महीने ही पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल और भारत को मिला कर एक नेटवर्क बनाने की बात कही थी जिससे चारों देशों के बीच गैस व अन्य पेट्रो उत्पादों का बगैर किसी रोक टोक के कारोबार हो सके।
इस नेटवर्क की एक बड़ी खासियत यह होगी कि हर सदस्य देश को उसकी जरुरत के ऊर्जा विकल्प (पेट्रोल, डीजल, गैस या क्रूड) की आपूर्ति करने में सक्षम होगा। मसलन, अगर नेपाल और बांग्लादेश को पेट्रोल व डीजल की जरुरत होगी तो इससे इन दोनो देशों को इनकी आपूर्ति होगी लेकिन भारत को बांग्लादेश और म्यांमार से गैस की आपूर्ति भी यह कर नेटवर्क कर सकेगा। इसकी लंबाई तकरीबन 6900 किलोमीटर होगी और यह म्यांमार के सित्तवे और बांग्लादेश के चिटगांव के अलावा भारत के अधिकांश पूर्वोत्तर राज्यों से गुजरेगा। इस नेटवर्क को सफल बनाने के लिए भारत म्यांमार और बांग्लादेश के उर्जा भंडारों में बड़ी हिस्सेदारी चाहता है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश की सरकार जल्द ही खोज व उत्खनन के लिए निजी क्षेत्र को ब्लाक आफर करने वाली है। ये ब्लाक बांग्लादेश के सबसे कठिन पेट्रोलियम भंडार वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। भारत की सरकारी कंपनी ओएनजीसी (विदेश) ने वर्ष २०१४ में बांग्लादेश में दो अहम ब्लाक खरीद चुकी है और इसमें अच्छा खासा निवेश भी कर रही है। उक्त सूत्रों के मुताबिक भारत को बांग्लादेश में उच्च स्तर पर यह आश्वासन दिया गया है कि भारतीय कंपनियों को पूरा मौका दिया जाएगा। सनद रहे कि अप्रैल, 2017 में पीएम शेख हसीना की भारत दौरे के दौरान दोनो देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में नौ अहम समझौते हुए थे। जिसके तहत 9 अरब डॉलर का निवेश भारतीय कंपनियां वहां करने वाली हैं।
बांग्लादेश की तरफ ही भारत म्यांमार के विशाल ऊर्जा भंडार में भी हिस्सा हासिल करने की कोशिश काफी लंबे समय से कर रहा है। चीन के वर्चस्व की वजह से भारत को वहां खास सफलता नहीं मिली थी। लेकिन अब हालात में बदलाव के संकेत है। पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस महीने की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी की म्यांमार की यात्रा के दौरान ऊर्जा क्षेत्र को लेकर काफी महत्वपूर्ण बात हुई है। ओएनजीसी (विदेश) म्यांमार को अपनी संभावित आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर मानता है। कंपनी की वहां पहले से ही चार ब्लाकों में हिस्सेदारी है लेकिन इनका कुल उत्पादन बेहद कम है।