WHO की रिपोर्ट में खुलासा, खसरे से तीसरे सबसे पीड़ित देश में शुमार हैं भारत
खसरे को आमतौर पर छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। यह अत्यधिक संक्रामक रोग होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 2019 के पहले तीन महीनों में दुनिया भर में खसरे के मामलों में 300 फीसद की वृद्धि हुई है। जनवरी से अप्रैल के बीच 46,187 खसरे के मामलों के साथ मेडागास्कर सबसे आगे है। सितंबर से अबतक इस बीमारी से यहां 800 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। 25,319 मामलों के साथ यूक्रेन दूसरे स्थान पर है। वहीं 7,246 मामलों के साथ भारत तीसरे स्थान पर है।
क्या है खसरा
खसरे को आमतौर पर छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। यह अत्यधिक संक्रामक रोग होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है। इसमें निमोनिया, डायरिया व दिमागी बुखार होने की संभावना बढ़ जाती है। चेहरे पर गुलाबी-लाल चकत्ते, तेज बुखार, खांसी, नाक बहना व आंखें लाल होना मर्ज के लक्षण हैं।
मीजल्स (खसरा) : खसरा के वायरस से ददोरा, खांसी, नाक का बहना, आंखों में जलन और तेज बुखार होता है। इसके साथ ही कानों में संक्रमण, निमोनिया, बच्चों को झटका आना, घूरती आंखे, दिमाग को नुकसान और अंत में मौत तक हो जाती है।
मंप्स : मंप्स से सिर में दर्द, तेज बुखार, मांस पेशियों में दर्द, भूख नहीं लगना, ग्रंथियों में दर्द, दिमागी बुखार।
रूबेला : महिलाओं में आर्थराइटिस और हल्का बुखार, गर्भावस्था में गर्भपात का खतरा, बच्चों में जन्मजात दोष जैसे सिर का बड़ा होना सहित अन्य शामिल है।
हवा में फैलता है रूबेला वायरस
मीजल्स, मंप्स और रूबेला वायरस हवा में फैलता है। यदि कोई मरीज पहले से संक्रमित है तो इसका वायरस स्वस्थ व्यक्ति को निशाने पर लेता है।
टीकाकरण से रोकथाम संभव
मीजल्स-रूबेला वायरस गंभीर और जानलेवा बीमारी होती है। लेकिन इसकी रोकथाम टीकाकरण के जरिए की जा सकती है। यह वैक्सीन बच्चों को तीन बीमारियों खसरा, गलगंड (मंप्स) और रूबेला रोग से बचाता है।
क्या होते हैं खसरे के शुरुआती लक्षण
खसरे का असरकारी टीका देश में काफी वर्षों से उपलब्ध है। इसके बावजूद खसरा छोटे बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। यह सबसे अधिक संक्रामक बीमारियों में से एक है। इसके वायरस के संपर्क में आने से कई गैर-प्रतिरक्षक बच्चे इस श्वसन संबंधी बीमारी का शिकार हो जाते हैं। खसरा पैरामाइक्सोवाइरस परिवार के एक वायरस के कारण एक तेजी से फैलने वाली घातक बीमारी है।
खसरे के लक्षण कई बार इतने सामान्य होते हैं कि यह बीमारी पकड़ में ही नहीं आती। खासतौर पर बच्चों में इस बीमारी के लक्षणों की पहचान कर पाना कई बार बहुत ही मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी के लक्षण फौरन पकड़ में भी नहीं आते। वायरस के हमले के करीब दो से तीन हफ्ते के बाद ही इस बीमारी की पहचान सम्भव हो पाती है। ये लक्षण दो से तीन दिन तक रहते हैं-
क्या है खसरे की पहचान
जर्मन खसरा किसी भी परिवार में फैल सकता है। कफ, काराईजा और कन्जक्टिवाइटिस मुख्य रूप से इसकी पहचान होते हैं। मुंह में तालू पर सफेद धब्बे भी नजर आते हैं। यह श्वसन से फैलने वाली बीमारी है और संक्रमित व्यक्ति के मुंह और नाक से बहते द्रव के सीधे या व्यक्ति के संपर्क क्षेत्र में आने से होती है।
- 102 डिग्री फॉरनहाइट (38.9 डिग्री सेल्सियस) या उससे हल्का बुखार
- सिर दर्द, भरी या बहती नाक और आंखों में जलन या लाल आंखें
- सिर के पिछले हिस्से, गर्दन और कान के पीछे लिम्फ नोड्स का बढ़ना
- चेहरे पर छोटा सा गुलाबी निशान होना, जो बहुत जल्दी ही धड़ पर फैल जाता है।
- इसके बाद इसे बाजुओं और टांगों पर फैलने में भी वक्त नहीं लगता। हालांकि यह इसी क्रम में गायब भी हो जाता है।
- जोड़ों में खुजली होना। खासतौर पर युवा महिलाओं में यह लक्षण काफी देखा जाता है।
- तीन-चार दिन के बुखार के बार सारे शरीर पर लाल दाने हो जाते हैं।
- यह दाने बाद में त्वचा पर गहरे भूरे रंग का दाग भी छोड़ जाते हैं।
- यह औसतन 14 दिनों तक प्रभावी रहता है।
डॉक्टर के पास कब जाएं
जब भी आपको या आपके बच्चे को खसरे की शिकायत हो या फिर उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी नजर आए तो आपको फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये।
जटिलताएं
खसरे की जटिलताएं अपेक्षाकृत साधारण ही हैं, जिसमें हल्के और कम गंभीर दस्त से लेकर, निमोनिया और मस्तिष्ककोप, (अर्धजीर्ण कठिन संपूर्ण मस्तिष्क शोथ), कनीनिका व्रणोत्पत्ति और फिर उसकी वजह से कनीनिका में घाव के निशान रह जाने के खतरे हैं। आमतौर पर जटिलताएं वयस्कों में ज्यादा होती हैं जो वायरस के शिकार हो जाते हैं।
उपचार
वहां खसरे के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है। हल्के और सरल खसरा से पीड़ित अधिकांश रोगी आराम और सहायक उपचार से ठीक हो जाएंगे. हालांकि, यदि मरीज अधिक बीमार हो जाता है, तब चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि हो सकता है उनमें जटिलताएं विकसित हो रही हों। कुछ रोगियों में खसरे की अगली कड़ी के रूप में निमोनिया का विकास हो सकता है। अन्य जटिलताओं में कान का संक्रमण, ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ) और इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्कशोथ) शामिल हैं। तीव्र खसरा श्वसनीशोथ से होने वाली मृत्यु की दर 15% है। हालांकि खसरा मस्तिष्कशोथ का कोई विशेष इलाज नहीं है, प्रतिजैविक निमोनिया के लिए प्रतिजैविकों की जरूरत होती है, खसरे के बाद विवरशोथ और श्वसनीशोथ हो सकता है।
वैश्विक प्रकोप
खसरे की चपेट में पूरा विश्व है। लेकिन अफ्रीका महाद्वीप अपने मामलों के साथ 700 फीसद से अधिक प्रभावित हुआ। डब्लयूएचओ का कहना है कि वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है क्योंकि दुनिया भर में केवल दस मामलों में से एक की रिपोर्ट की जाती है। 2019 में अब तक 170 देशों के खसरे के 228124 मामले सामने आए हैं जबकि 2018 में 163 देशों में 112163 खसरे के मामले दर्ज किए गए थे।
गंभीर संकट
चिंता की बात है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल, थाईलैंड और ट्यूनीशिया जैसे उच्च स्तर के टीकाकरण वाले देशों में भी खसरे के कई मामले समाने आए हैं। अभी पिछले हफ्ते, न्यूयॉर्क के मेयर ने एक अति-रूढ़िवादी यहूदी समुदाय में खसरे के लक्षण के बाद ब्रुकलिन के कुछ हिस्सों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के आपातकाल की घोषणा की।