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पानी के अंदर से मिसाइल छोड़ अमेरिका और चीन से की बराबरी

धरती और आकाश के बाद भारत अब समंदर से भी परमाणु हमला करने में सक्षम पांच विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है। पनडुब्बी तक परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम मध्यम दूरी की के-15 बैलिस्टिक मिसाइल का रविवार को भारत ने सफल परीक्षण किया। बंगाल की खाड़ी में यह परीक्षण समंदर के बीच दोपहर करीब 1 बजकर 40 मिनट

By Edited By: Published: Mon, 28 Jan 2013 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2013 03:35 PM (IST)
पानी के अंदर से मिसाइल छोड़ अमेरिका और चीन से की बराबरी

नई दिल्ली। धरती और आकाश के बाद भारत अब समंदर से भी परमाणु हमला करने में सक्षम पांच विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है। पनडुब्बी तक परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम मध्यम दूरी की के-15 बैलिस्टिक मिसाइल का रविवार को भारत ने सफल परीक्षण किया। बंगाल की खाड़ी में यह परीक्षण समंदर के बीच दोपहर करीब 1 बजकर 40 मिनट पर किया गया। भारत द्वारा खुद तैयार की गई यह मिसाइल पनडुब्बी से दागी जा सकती है।

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सूत्रों के मुताबिक इस मिसाइल का इससे पहले कई नामों से 10 बार परीक्षण किया जा चुका है और रविवार को इसका अंतिम परीक्षण किया गया। 11वां परीक्षण सफल होते ही भारत ने पहली बार इस मिसाइल के बारे में दुनिया को बताया। भारत से पहले अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन ही इस तरह की मिसाइल दागने में सक्षम थे।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] के प्रमुख वीके सारस्वत ने बताया कि के-15 मिसाइल ने परीक्षण के सभी मानकों को पूरा किया है। उनके मुताबिक मध्यम दूरी की यह मिसाइल पंद्रह सौ किमी तक मार करने में सक्षम है। मध्यम दूरी की मिसाइलें 600 किमी से 2000 किमी तक मार करने में सक्षम मानी जाती हैं।

सारस्वत ने बताया कि इस परीक्षण के बाद अब के-15 मिसाइल को विकास की प्रक्रिया से गुजर रहे स्वदेशी पनडुब्बी आइएनएस अरिहंत में लगाया जाएगा। यह मिसाइल डीआरडीओ के उस अभियान का एक हिस्सा है, जिसके तहत भारत के सुरक्षाबलों के लिए पानी के अंदर से मार करने वाले मिसाइलों का विकास किया जा रहा है। इस मिसाइल को बीओ 5 के नाम से भी जाना जाता है। इसके विकास की जिम्मेदारी डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान व विकास प्रयोगशाला [डीआरडीएल] को सौंपी गई थी।

सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ कोमोडोर [सेवानिवृत्त] उदय भास्कर ने डीआरडीओ की इस सफलता को महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि पनडुब्बी आधारित मिसाइल तकनीक में दक्षता हासिल करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इससे सेना की मारक क्षमता में नई धार आएगी। एक अन्य रक्षा विशेषज्ञ देबा मोहंती के मुताबिक के-15 मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत ने वैश्विक सैन्य क्षमता के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। डीआरडीओ पानी के अंदर से मार करने वाले दो और मिसाइलों का विकास करने में जुटा है। इनमें से के-15 और ब्रह्मोस शामिल है, जिसकी मारक क्षमता 750 और 290 किलोमीटर है। भारत ने पिछले साल 19 अप्रैल को पांच हजार किमी से ज्यादा दूरी तक मार करने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। चलिए इसके साथ ही भारत की अन्य मिसाइल ताकत के बारे में बताते हैं।

-भारतीय सेना के बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसे मिसाइल हैं।

-भारतीय मिसाइलों की खासियत और इसकी रेंज।

-अग्नि-1 लंबी दूरी तक मार करने वाली पहली मिसाइल है । यह 700 किमी तक 1000 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।

-अग्नि-2 आधुनिक नेवीगेशन सिस्टम पर आधारित है। 2000 किमी तक 1000 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।

-अग्नि-3, 4 सड़क के किनारे से भी छोड़ा जा सकता है । 3500 किमी तक 1500 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।

-अग्नि-5, 5000 किमी तक 1000 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।

-पृथ्वी एंटी बेलिस्टिक मिसाइल को चकमा देने और 350 किमी तक 500 किग्रा वॉरहेड ले जाने में सक्षम है।

-ब्रह्मोस, ध्वनि की गति से 3 गुना तेज ब्रह्मोस। 290 किमी तक मार कर सकती है।

-आकाश, स्वदेश निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल 25 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है और अपने साथ 60 किलोग्राम तक के आयुध भी ले जा सकती है। आकाश मानव रहित विमानों, लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को भी निष्क्रिय करने में सक्षम है।

-नाग, मिसाइल की विशेषता है कि यह टॉपअटैक- फायर एंड फोरगेट और सभी मौसम में फायर करने की क्षमता से लैस है। हमला करने के लिए 42 किग्रा वजन की इस मिसाइल को हवा से जमीन पर मार करने के लिए हल्के वजन के हेलीकॉप्टर में भी लगाया जा सकता है।

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