Move to Jagran APP

भारत ने किया दो पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण, चीन और पाकिस्तान कांपे !

भारत ने ओडिशा में बालासोर तट से बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2 का सफल परीक्षण किया है। पृथ्वी-2 मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 350 किमी है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 09:05 AM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 09:26 AM (IST)
भारत ने किया दो पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण, चीन और पाकिस्तान कांपे !
दो पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण हुआ। (फोटो: दैनिक जागरण)

भुवनेश्वर, एएनआइ। भारत ने बुधवार को ओडिशा में बालासोर के पूर्वी तट से दो पृथ्वी -2 बैलिस्टिक मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह परमाणु संपन्न मिसाइल सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है। एक महीने के अंदर पृथ्वी-2 मिसाइल का यह परीक्षण है। इसी साल 20 नवंबर को ओडिशा तट से इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था। 

prime article banner

पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ने स्वदेशी तरीके से विकसित किया है। पृथ्वी-2 मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है। इस मिसाइल का नाइट ट्रायल लाउंच कॉम्पैक्स-3 से मोबाइल लाउंचर से 7pm से 7.15pm के बीच किया गया। 

इससे पहले 1 दिसंबर को, DRDO द्वारा 300 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज के साथ विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के जहाज-रोधी संस्करण ने अपने लक्ष्य जहाज को एक परीक्षण आग में सफलतापूर्वक मार गिराया था।

जानें पृथ्वी-2 मिसाइल की विशेषताएं

पृथ्वी-2 500 से 1,000 किलोग्राम भार तक के हथियारों को लेकर जाने में सक्षम है। सतह से सतह पर साढ़े तीन सौ किलोमीटर मार करने वाली इस मिसाइल में तरल ईंधन वाले दो इंजन लगाए गए हैं। इसे तरल और ठोस दोनों तरह क ईंधन से संचालित किया जाता है।

डीआरडीओ ने बताया कैसे हुआ प्रक्षेपण

इस मिसाइल के प्रक्षेपण के बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया था कि 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली इस मिसाइल को आईटीआर के प्रक्षेपण परिसर-3 से एक मोबाइल लॉन्चर से दागा गया। परीक्षण को नियमित अभ्यास करार देते हुए उन्होंने कहा कि मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली और टेलीमेट्री केंद्रों से नजर रखी गई जिसने सभी मानकों को प्राप्त कर लिया।

 प्रोडक्शन स्टॉक से रेंडमली इस मिसाइल को परीक्षण के लिए चुना गया और इसके परीक्षण की पूरी गतिविधियां सेना के स्ट्रेटजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) के द्वारा की गई जबकि इसकी निगरानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.