जैव विविधता पर दुनिया के पहले सम्मेलन के लिए भारत तैयार, गुजरात में जुटेंगे 110 देशों के प्रतिनिधि
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में शुरू हो रहे सम्मेलन में 110 देशों के 1200 से ज्यादा के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
नई दिल्ली, आइएएनएस। संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले आयोजित होने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता के सम्मेलन के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गुजरात की राजधानी गांधीनगर में सोमवार से यह सम्मेलन शुरू होगा। इसमें 110 देशों के 1,200 से ज्यादा के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में मुख्य रूप से प्रवासी जीवों की संख्या में आ रही गिरावट पर चर्चा होगी। उनके संरक्षण के तरीकों पर विचार होगा।
सम्मेलन में रेगिस्तान में रहने वाले गोबी भालू, ईरान और इसके आसपास पाया जाने वाला तेंदुआ और मध्य एशिया के जंगलों में पाई जाने वाली यूरीयाल भेड़ों की गिरती संख्या पर खासतौर पर चर्चा होगी। इसके अतिरिक्त भारत में पाए जाने वाले हाथी, उल्लू और गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन मछलियों पर भी चर्चा होगी।
आबादी बढ़ने के साथ जंगलों की हो रही कटाई, सड़क, रेल मार्गो के विकास और सुरक्षात्मक चहारदीवारी खड़ी किए जाने से जानवरों के स्वतंत्र विचरण में बाधा आ रही है। जब वे रेलवे ट्रैक या सड़क पार कर रहे होते हैं, तो ट्रेन या बड़े वाहनों से टकराने तमाम जानवरों की मौत हो जाती है। कई तरह के पक्षी बिजली के तारों की चपेट में आकर जान गंवा देते हैं। इससे मौसमी बदलावों से बचने के लिए स्थान परिवर्तन का सिलसिला धीमा हो रहा है। पशु और पक्षी रास्ता भटक रहे हैं और आबादी वाले इलाकों में पहुंच जा रहे हैं। जान गंवाने के भय से कई प्रजातियों के जानवर वे इलाके छोड़ रहे हैं जहां वे दशकों और सदियों से आते रहे हैं। प्रवासी जीवों का आवागमन कम होने की बड़ी वजह प्रदूषण के स्तर में हो रही बढ़ोतरी और शिकारियों की बढ़ती गतिविधियां भी हैं।
सीएमएस सीओपी13
सम्मेलन को कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीसीज (सीएमएस सीओपी13) का नाम दिया गया है। माना जाता है कि ये प्रवासी जीव धरती के विभिन्न भागों को आपस में जोड़ने का कार्य करते हैं। ये प्रतिनिधि के तौर पर सुदूर क्षेत्र में जाते हैं और वहां पर अपनी पहचान बनाते हैं।