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टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाया जाना क्‍यों है जरूरी, भारत ने चीन को बताई वजह, जानें बीजिंग ने क्‍या कहा

पूर्वी लद्दाख में एलएसी से टकराव के बिंदुओं से सेनाओं की वापसी क्‍यों जरूरी है इस बारे में भारत ने चीन को बताया है। यही नहीं भारत और चीन ने एक दूसरे के विचार साझा करने के लिए हॉटलाइन संपर्क तंत्र भी स्थापित करने पर सहमति जताई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 05:26 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 01:16 AM (IST)
टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाया जाना क्‍यों है जरूरी, भारत ने चीन को बताई वजह, जानें बीजिंग ने क्‍या कहा
टकराव के बिंदुओं से सेनाओं की वापसी क्‍यों जरूरी है इस बारे में भारत ने चीन को बताया है।

नई दिल्ली/बीजिंग, पीटीआइ/एएनआइ। पूर्वी लद्दाख में एलएसी से टकराव के बिंदुओं से सेनाओं की वापसी की जरूरत बताते हुए भारत ने चीन से कहा है कि ऐसा किया जाना सीमा पर शांति और स्थिरता को बनाए रखने के साथ साथ द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिए जरूरी है। भारत ने चीन से कहा है कि सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल के लिए जरूरी है कि टकराव वाले सभी इलाकों से सैनिकों को हटाया जाए। यही नहीं भारत और चीन ने एक दूसरे के विचार साझा करने के लिए हॉटलाइन संपर्क तंत्र भी स्थापित करने पर सहमति जताई है।

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तनाव कम करने की हो पहल 

वहीं चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता वांग वेनबिन (Wang Wenbin) ने कहा है कि हाल ही में चीनी और भारतीय बलों ने पैंगोंग झील इलाके में विघटन पूरा कर लिया है। ऐसे में जब स्थिति में काफी सामान्‍य हो रही है दोनों पक्षों को तनाव कम करने की संभावनाओं पर बढ़ना चाहिए। इसमें संयुक्त रूप से मौजूदा उपलब्धियों को हासिल करना, आपसी परामर्शों की गति बनाए रखना, तनाव की स्थिति को कम करना, सीमा नियंत्रण तंत्र में सुधार करना, सीमाई मसले पर बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को बरकरार रखना शामिल है।

द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर

मालूम हो कि पिछले हफ्ते भारत और चीन की सेनाओं ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और साजो-सामानों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी। बीते बृहस्‍पतिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ लंबी बातचीत की थी। विदेश मंत्रालय ने टेलीफोन पर कुल 75 मिनट तक चली बातचीत का विवरण जारी करते हुए एक बयान में कहा कि भारत की ओर से चीन को कहा गया है कि पिछले साल से सीमा पर बढ़े तनाव के चलते दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ा है।   

हिंसा पर संबंध होंगे प्रभावित

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना था कि सीमा संबंधी सवालों को सुलझाने में समय लग सकता है लेकिन यदि फि‍र हिंसा होती है तो इससे संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों के विदेश मंत्री लगातार संपर्क में रहने और एक हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमत हुए हैं। दोनों के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर मौजूदा हालात के साथ साथ भारत-चीन के समग्र संबंधों को लेकर चर्चा की। वहीं चीनी विदेश मंत्री वांग ने कहा कि चीन और भारत को आपसी भरोसे की बहाली को लेकर संजीदगी से काम करना चाहिए। 

सीमाई मसलों को उचित तरीके से निपटाएं

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने यह भी कहा कि दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर रखने के लिए सीमाई मसलों को उचित तरीके से निपटाना चाहिए। वहीं भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मॉस्को में पिछले साल सितंबर में हुई बैठक का हवाला देते हुए कहा कि इस बैठक में सहमति बनी थी कि सीमाई क्षेत्रों में तनाव की स्थिति दोनों देशों के हित में नहीं है। बैठक में फैसला हुआ था कि दोनों देश बातचीत जारी रखेंगे और सैनिकों को पीछे हटाएंगे। साथ ही एलएसी पर तनाव कम करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। 

गतिरोध वाले सभी स्थानों से हटें सैनिक 

सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह वरिष्ठ कमांडरों के बीच 10 वें दौर की वार्ता के दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए भारत ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया। जयशंकर ने वांग से कहा कि गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत की ओर से की गई शांति की पेशकश पर चीनी विदेश मंत्री वांग ने भी संतोष व्‍यक्‍त किया है। 

सीमाई मसलों पर दिया जाए ध्‍यान 

चीनी विदेश मंत्री का भी मानना है कि सीमाओं पर शांति की बहाली की दिशा में उक्‍त पहल महत्वपूर्ण हैं। उनका कहना था कि भारतीय पक्ष ने संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी हितों को ध्यान में रखने का प्रस्ताव दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में भी कहा गया है कि चूंकि सीमा पर विवाद एक वास्‍तविकता है इसलिए इस पर समुचित ध्यान दिए जाने की दरकार है। मालूम हो कि भारत और चीन के बीच पांच मई को सीमा पर टकराव शुरू हुआ था। 


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