करतारपुर गुरुद्वारे के गुंबदों के गिरने पर भारत सख्त, पाक से कहा- वजहों का पता लगाओ
करतारपुर गुरुद्वारे के गुंबदों के गिरने पर भारत सख्त पाक से कहा- वजहों का पता लगाओ
नई दिल्ली, एजेंसियां। पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का पुनरुद्धार कराने की प्रकृति ने पोल खोल दी है। शुक्रवार की शाम आई आंधी और बरसात में गुरुद्वारे के आठ गुंबद ध्वस्त हो जमीन पर आ गिरे थे। इससे नाराज भारत सरकार ने इमरान खान सरकार को सिखों के सबसे प्रमुख गुरुद्वारे को क्षति पहुंचने का कारण स्पष्ट करने को कहा है। साथ ही कहा कि इस घटना से सिख समुदाय की भावनाएं बेहद आहत हुई हैं। इसलिए जल्द से जल्द इस गुरुद्वारे की मरम्मत की जाए और उसे उसका पहले जैसा स्वरूप प्रदान किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि सिख समुदाय की भावनाओं का ख्याल रखते हुए नवनिर्मित धार्मिक ढांचे की खामियों का पता करके उसे फिर से पूरी मजबूती से बनाएं। भारत सरकार ने पाकिस्तान से कहा है कि इस पवित्र धर्मस्थल को लेकर वह सिखों की धार्मिक भावनाओं को समझे और उसी के मुताबिक आगे कदम उठाए।
सूत्रों का कहना है कि गुरुद्वारे के गुंबदों को घटिया क्वालिटी की निर्माण सामग्री से बनाया गया था, जिसका उस समय सिख समुदाय ने विरोध भी किया था। पाकिस्तान के प्रशासन ने फाइबर ग्लास के बने गुंबदों को गुरुद्वारे के शीर्ष पर नट-बोल्ट से कसवाया था। ताकि सस्ते में तय समय पर पुरुद्धार का काम पूरा हो जाए। उस पर भी तुर्रा यह कि पाकिस्तान सरकार श्रद्धालुओं से 20 डॉलर की एंट्री फीस वसूलती है।
उल्लेखनीय है कि सिख समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव का जन्मस्थल है। पिछले साल नवंबर में दोनों देशों के बीच जनसंपर्क बनाने के लिए रावी नदी के इर्द-गिर्द एक गलियारा बनाया गया जो भारत में गुरुदासपुर स्थित डेरा बाबा साहिब और पाकिस्तान के नारोवाल जिले में करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को जोड़ता है।
इस घटना के पाकिस्तान की इमरान खान सरकार को शर्मिंदगी में डाल दिया है क्योंकि इस गुरुद्वारे की अभी हाल में ही मरम्मत होने के कारण किसी ने भी इतनी जल्दी इसके क्षतिग्रस्त होने की उम्मीद नहीं की थी। इससे मरम्मत कार्य की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पाक पीएम इमरान खान ने करतारपुर साहिब के सहारे अपनी रणनीति बनाई थी। इसके तहत भारतीय सिखों का समर्थन पाने के लिए उसने करतारपुर कॉरीडोर खोलकर इसका जोरदार उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया था।