गैस कीमत कम करने पर कतर से नहीं बनी बात, भारत ने कहा; पुराने अनुबंधों की हो समीक्षा
कतर भारत का सबसे बड़ा एलएनजी आपूर्तिकर्ता है। लंबी अवधि के दो पुराने अनुबंधों के तहत भारत सालाना 85 लाख टन एलएनजी का आयात कतर से करता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। मौजूदा करारों की समीक्षा करते हुए लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) की कीमत करने के मसले पर भारत और कतर के बीच सहमति नहीं बन पाई है। भारत का कहना है कि ईधन के मामले में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पुराने अनुबंधों की समीक्षा होनी चाहिए। वहीं कतर का तर्क है कि वह कम कीमत पर नए अनुबंध करने को तैयार है, लेकिन कारोबारी मूल्यों को ध्यान में रखते हुए पुराने अनुबंधों की समीक्षा नहीं होगी।
कतर भारत का सबसे बड़ा एलएनजी आपूर्तिकर्ता है। लंबी अवधि के दो पुराने अनुबंधों के तहत भारत सालाना 85 लाख टन एलएनजी का आयात कतर से करता है। इन अनुबंधों में गैस की कीमत को क्रूड की कीमत से लिंक किया गया है। मौजूदा दौर में इसकी कीमत नौ से 10 डॉलर (करीब 700 रुपये) प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट पड़ती है। वहीं, अभी स्पॉट और करेंट मार्केट में इसकी कीमत आधी पड़ रही है। इस लिहाज से कतर के साथ किए गए अनुबंध भारत के लिए सबसे महंगे हैं। ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका से किए गए अनुबंधों में काफी सस्ती कीमत पर गैस की आपूर्ति होती है।
पेट्रोलियम मंत्री ने कतर के ऊर्जा मंत्री से की मुलाकात
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कतर के ऊर्जा मंत्री साद शेरिदा अल काबी से मुलाकात कर उनसे पुराने अनुबंधों की समीक्षा को कहा। उन्होंने कहा कि कीमत बाजार के मौजूदा हालात के अनुसार होनी चाहिए। इससे अंतिम उपभोक्ता को भी लाभ होगा। प्रधान ने कहा कि तेल की कीमतों के हिसाब से गैस की कीमतें तय करने से इस स्वच्छ ईधन की कीमत ज्यादा हो जाती है। इससे इस दिशा में कई लक्ष्य हासिल करने में भी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। क्रूड से लिंक होने का मतलब है कि जब भी क्रूड महंगा होता है, गैस की कीमत बढ़ जाती है। अमेरिका और रूस से आने वाली गैस का क्रूड से कोई लिंक नहीं है।
पुरानी प्रक्रिया की हो समीक्षा: धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'सभी ईधन उत्पादकों को इस पुरानी प्रक्रिया की समीक्षा करनी चाहिए और मांग व आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए कीमतें तय करने का नया तरीका निर्धारित करना चाहिए। हम चाहते हैं कि कतर भी लंबी अवधि के समझौतों में कीमतों की समीक्षा करे।'
कतर के ऊर्जा मंत्री साद शेरिदा अल काबी ने फिलहाल ऐसी किसी संभावना से इन्कार किया है। उन्होंने कहा, 'हम मौजूदा अनुबंधों की समीक्षा नहीं कर सकते। अनुबंधों पर एक तय समय के लिए हस्ताक्षर किया जाता है। एक कारोबारी के तौर पर हमारा मानना है कि दोनों पक्षों के लिए अनुबंध की अपनी महत्ता होती है। दोनों ही पक्षों को इसका सम्मान करना चाहिए। हम नई कीमत पर अतिरिक्त अनुबंध करने को तैयार हैं।' उन्होंने कहा कि भारत में गैस की बड़ी मांग है और कतर इसे पूरा करने का इच्छुक है।