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विश्व कल्याण के लिए भारत का अखंड होना आवश्यक, अलग होकर पाकिस्‍तान लगातार संकट में : मोहन भागवत

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि भारत में कई चुनौतियों से निपटने की क्षमता है और दुनिया मुश्किलों से पार पाने के लिए उसकी ओर देखती है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम के जरिए दुनिया फिर से खुशहाली और शांति हासिल कर सकती है।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 07:17 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 07:17 PM (IST)
विश्व कल्याण के लिए भारत का अखंड होना आवश्यक, अलग होकर पाकिस्‍तान लगातार संकट में : मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत

 हैदराबाद, प्रेट्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने अखंड भारत की आश्यकता पर बल देते हुए गुरुवार को कहा कि भारत से अलग हुए पाकिस्तान जैसे देश अब संकट में हैं। भागवत ने यहां एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर कहा कि 'अखंड भारत' बलपूर्वक नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के जरिए संभव है। 

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अखंड भारत का सपना बल से नहीं धर्म से संभव होगा

उन्होंने कहा, दुनिया के कल्याण के लिए गौरवशाली अखंड भारत की आवश्यकता है। इसके लिए लोगों में देशभक्ति जगाने की जरूरत है। आकार में छोटे किए गए भारत को (फिर से) संगठित किए जाने की आवश्यकता है। भारत से अलग हुए सभी हिस्सों, जो स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं बताते है, उन्हें इसकी अधिक आवश्यकता है। 

भागवत ने कहा कि कुछ लोगों ने देश के विभाजन से पहले इस बात को लेकर गंभीर संदेह जताया था कि इसे बांटा भी जा सकता है या नहीं, लेकिन ऐसा हो गया। संघ प्रमुख ने कहा, यदि आप इस देश के बंटवारे से छह महीने पहले किसी से पूछते, तो कोई भी इसका अंदाजा नहीं लगा सकता था। लोगों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से पूछा था कि पाकिस्तान के गठन संबंधी नई बात सामने आ रही है। 

भागवत ने कहा कि इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि यह क्या है। उन्होंने कहा था कि यह (बंटवारा) मूर्खों का सपना है। उन्होंने कहा कि लॉर्ड वावेल (ब्रितानी शासन काल में) ने भी ब्रिटेन की संसद में कहा था कि भारत को भगवान ने बनाया है और इसे कौन विभाजित कर सकता है। लेकिन अंतत: ऐसा (बंटवारा) हो गया, जो असंभव प्रतीत होता था, वह हुआ, इसलिए अभी असंभव लगने वाले अखंड भारत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसकी आवश्यकता है। 

भागवत ने कहा कि स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं कहने वाले इससे अलग हुए क्षेत्रों के लिए भारत के साथ फिर से जुड़ना अधिक जरूरी है। उन्होंने कहा कि इन देशों ने वह सब कुछ किया, जो वह कर सकते थे, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। इसका एक मात्र समाधान (भारत के साथ) फिर से जुड़ना है और इससे उनकी सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी।हम उन्हें दबाने नहीं, उन्हें जोड़ने की बात कर रहे हैं। जब हम अखंड भारत की बात करते हैं, तो हमारा इरादा ताकत के बल पर यह (हासिल) करना नहीं है, बल्कि सनातन धर्म के जरिए उन्हें जोड़ना है। सनातन धर्म मानवता और पूरी दुनिया का धर्म है और इसे आज हिंदू धर्म कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि गंधार अफगानिस्तान बन गया। क्या वहां तब से शांति है। पाकिस्तान का गठन हुआ। क्या वहां उस समय से शांति है। भागवत ने कहा कि भारत में कई चुनौतियों से निपटने की क्षमता है और दुनिया मुश्किलों से पार पाने के लिए उसकी ओर देखती है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम के जरिए दुनिया फिर से खुशहाली और शांति हासिल कर सकती है।


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