आतंकवाद पर भारत की पाकिस्तान को लताड़, FATF की चेतावनी के बाद दिया बड़ा बयान
शुक्रवार को एफएटीएफ (FATF) की ओर से पाकिस्तान को चेतावनी दी गई और आतंकियों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई के लिए उसे अक्टूबर 2019 तक की डेडलाइन भी दे दी गई।
नई दिल्ली, एएनआइ। आतंकी फंडिंग रोकने के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पाकिस्तान को चेतावनी के बाद अब भारत ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एफएटीएफ (FATF) की पाकिस्तान को चेतावनी पर कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान एफएटीएफ (FATF) के लिए अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के अनुसार सितंबर 2019 तक की समय सीमा के भीतर पूरी तरह से एफएटीएफ एक्शन प्लान को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।'
भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर कड़े एक्शन लेने को कहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, 'आतंकवाद और आतंकवादी नियंत्रण से संबंधित वैश्विक चिंताओं को दूर करने के उपायों पर पाकिस्तान को ध्यान देना होगा। क्योंकि आतंकियों के खिलाफ एक्शन जरूरी है चाहें इसका नियंत्रण दुनिया के किसी भी इलाके में हो।'
एफएटीएफ रिपोर्ट के बारे में एक जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'एफएटीएफ (FATF) ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) की विफलता के लिए पाकिस्तान को उसके अनुपालन दस्तावेज (यानी ग्रे लिस्ट) पर जारी रखने का फैसला किया है, जिसे पहले जनवरी और फिर मई 2019 में पाकिस्तान ने पूरा करने का वादा किया था।'
भारत के विदेश मंत्रालय का यह बयान आतंकी फंडिंग रोकने के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की उस चेतावनी के बाद आया है, जिसमें पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर वह इस संबंध में मान्य अंतरराष्ट्रीय नियमों को लागू नहीं करता है तो उसे अक्टूबर, 2019 में प्रतिबंधित किया जा सकता है। यह बयान एफएटीएफ (FATF) की ओर से पाकिस्तान के आतंकियों के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिए जाने के बाद आया है।
क्या है एफएटीएफ (FATF) ?
एफएटीएफ ( FATF), पेरिस स्थित ग्लोबल एजेंसी है जो आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने के लिए काम कर रही है। एफएटीएफ ( FATF) ने पाकिस्तान से देश में प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़े एक्शन लेने के लिए कहा है।
इससे पहले पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में रखा गया था। पिछले दो दिनों से अमेरिका में चल रही बैठक में एफएटीएफ (FATF)ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में ही रखने का फैसला किया है। वैसे पाकिस्तान में सरकार और मीडिया इसे एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर प्रचारित कर रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान अभी भी खतरे से बाहर नहीं है।
भारत की कूटनीतिक कोशिश यही थी कि इसी बैठक में पाकिस्तान पर प्रतिबंध लग जाए। इस तरह की सूचनाएं आ रही हैं कि तुर्की, मलेशिया और चीन की वजह से पाकिस्तान को प्रतिबंधित सूची में नहीं डाला जा सका। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद से आग्रह किया था कि वह एफएटीएफ का सदस्य होने के नाते पाकिस्तान को निगरानी सूची से बाहर आने में मदद करे। मोहम्मद लगातार इमरान खान को मदद देने की बात करते रहे हैं। तुर्की के मीडिया ने भी खबरें दी हैं कि उनकी सरकार ने एफएटीएफ में पाकिस्तान की मदद की है। इन देशों की कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान इस एजेंसी की निगरानी सूची में बना रहेगा जो उसके लिए एक बड़ी मुसीबत है। इसकी वजह से दुनिया के वित्तीय संस्थानों के बीच उसकी नकारात्मक छवि बनी रहेगी।
निगरानी सूची से बाहर आने के लिए पाकिस्तान को 36 सदस्यीय एफएटीएफ में 15 देशों का समर्थन चाहिए। अब इस एजेंसी की अगली बैठक अक्टूबर में होगी। तब फिर पाकिस्तान द्वारा आतंकी फंडिंग या संदेहास्पद वित्तीय लेन-देन रोकने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा होगी।इस हफ्ते की बैठक में भी अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों ने पाकिस्तान में जारी कई आतंकी संगठनों की वित्तीय गतिविधियों पर चिंता जताई। खास तौर पर जिस तरह अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित हाफिज सईद और मसूद अजहर की गतिविधियां जारी हैं, उस पर आपत्ति जताई गई।
पाकिस्तान की तरफ से हाल के दिनों में कई आतंकी संगठनों के खिलाफ उठाए गए प्रतिबंधों से संबंधित सुबूत पेश किए गए। पाकिस्तान ने बताया कि विभिन्न आतंकी संगठनों की तकरीबन 700 परिसंपत्तियों को जब्त किया गया है। लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त करने के लिए काफी नहीं है।
पाक को लगेगा जोर का झटका
एफएटीएफ की तरफ से पिछले वर्ष पाकिस्तान को 25 मानक दिए गए थे जो उसे निगरानी सूची से बाहर आने के लिए अनिवार्य थे। लेकिन अभी तक पाकिस्तान इसमें से दो-तीन मानकों को ही पूरा कर पाया है। यही वजह है कि पाक प्रधानमंत्री इमरान खान से लेकर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी तक एफएटीएफ की काली सूची में आने की संभावना के प्रति देश को आगाह कर चुके हैं। कुरैशी ने यहां तक कहा था कि इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 10 अरब डॉलर का झटका लगेगा।
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