कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत की दक्षिण कोरिया, जर्मनी, चीन की तकनीक पर नजर
कोरोना के मरीजों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी को देखते हुए भारत अब तकनीक को हासिल करने को लेकर दक्षिण कोरिया जर्मनी और चीन की ओर नजरें जमाए हुए है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। पिछले कुछ दिनों कोरोना वायरस के संक्रमण में एकाएक बढ़ोतरी को देखते हुए भारत अब उन तकनीकी प्रक्रियाओं को हासिल करने को लेकर दक्षिण कोरिया, जर्मनी और चीन की ओर नजरें जमाए हुए है। इन देशों ने ऐसे कदम उठाए हैं जिनके दम पर वह इस संक्रमण के प्रभाव को कम करने में कामयाब हो पाए हैं। दक्षिण कोरिया, जर्मनी और चीन के भारतीय अभियानों को पहले से ही यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह कोरोना से निपटने में इन देशों के साथ सहयोग के संभावित क्षेत्रों की तलाश करें और संबंधित विभागों से चिकित्सा उपकरण और तकनीक हासिल कर सकें।
हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 130 देशों में भारतीय मिशनों के साथ हुई बैठक में पीएम ने वैश्विक महामारी से निपटने के लिए सर्वश्रेष्ठ कदमों, खोजों, वैज्ञानिक शोधों और चिकित्सा उपकरणों की आवश्यकताओं पर बल दिया था। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि भारत अब दक्षिण कोरिया की व्यापक टेस्टिंग नीति पर भरोसा करना चाहता है। संदिग्ध मामलों की डिजिटल ट्रैकिंग पर भी विचार चल रहा है। दक्षिण कोरिया की परीक्षण नीति और मरीजों की ट्रैकिंग के तरीके को दुनिया भर में सराहा गया है। दक्षिण कोरिया ने बाकी दुनिया की तरह कोई लॉकडाउन नहीं किया और उनका कारोबार हमेशा की तरह सामान्य रूप से चलता रहा।
दूसरी ओर चीन ने भी 80 हजार लोगों में संक्रमण और 3300 मौतों के बाद नए संक्रमणों को होने से रोक लिया है। भारत भी चीन की चंद दिनों में चिकित्सकीय उपकरणों और अस्पतालों को तैयार करने की क्षमता से प्रभावित है। एक अधिकारी ने कहा कि भारत को भी भविष्य की जरूरतों को देखते हुए चिकित्सा क्षेत्र में आधारभूत ढांचे की तैयारी करनी होगी। इसलिए भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर नजर जमाए हुए है। ताकि सर्वश्रेष्ठ तकनीकों और चिकित्सकीय उपकरणों को हासिल किया जा सके। बीजिंग में भारतीय दूतावास ने चिकित्सा उपकरणों के लिए चीन के संबंधित अधिकारियों से संपर्क बना रखा है। कई अवसरों पर चीन भी कह चुका है कि वह भारत को इस महामारी से निपटने में हर तरह की मदद देने को तैयार है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना वायरस के टीके के संबंध में भी भारत कई देशों के संपर्क में है।