अंतरिक्ष में 5 उपग्रह भेज इसरो ने रचा इतिहास, PM ने दी बधाई
भारत ने अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में शुक्रवार रात को इतिहास रच दिया। उसने उस ब्रिटेन के पांच उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में भेजने में कामयाबी हासिल की, जो कभी उस पर राज करता था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ऐतिहासिक मिशन के तहत श्रीहरिकोटा के सतीश धवन
श्रीहरिकोटा। भारत ने अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में शुक्रवार रात को इतिहास रच दिया। उसने उस ब्रिटेन के पांच उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में भेजने में कामयाबी हासिल की, जो कभी उस पर राज करता था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ऐतिहासिक मिशन के तहत श्रीहरिकोटा के सतीश धवन केंद्र से रॉकेट पीएसएलवी-सी 28 के जरिये कुल 1,440 किलोग्राम वजन के पांच ब्रिटिश उपग्रहों को प्रक्षेपण के 20 मिनट के अंदर अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में कामयाबी हासिल कर ली। प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो की इस सफलता पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है इस सफलता के लिए इसरो की टीम बधाई की पात्र है।
इससे पूर्व पीएसएलवी-सी28 को रात 9.58 बजे इन उपग्र्रहों के साथ प्रक्षेपित किया गया। इसरो के इस व्यावसायिक मिशन को अब तक का सबसे वजनी अभियान बताया जा रहा है।
अब तक सबसे वजनी अभियान
इसरो की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि 44.4 मीटर लंबे और 320 टन वजन वाले पीएसएलवी-सी 28 रॉकेट का यह अब तक सबसे वजनी अभियान था, हालांकि पीएसएलवी-सी 28 की कुल क्षमता 1,750 किलोग्राम वजन ढोने की है।
प्रकाश पुंज की तरह ओझल हो गया
पीएसएलवी का प्रक्षेपण सतीश धवन केंद्र के पहले लांच पैड से किया गया। मौके पर मौजूद एक इसरो वैज्ञानिक ने कहा कि रात के आसमान में नारंगी लपटें छोड़ता हुआ पीएसएलवी रॉकेट एक प्रकाश पुंज की तरह देखते ही देखते आंखों से ओझल हो गया। इस दौरान रॉकेट मिशन कंट्रोल रूम में इसरो के वैज्ञानिक कंप्यूटर स्क्रीन से चिपके रहे।
इसरो प्रमुख गदगद
इसरो प्रमुख किरण कुमार के मुताबिक, 'यह एक बेहद अद्भुत अभियान रहा। इसरो का यह 30वां मिशन बहुत सफल रहा। राकेट ने 17 मिनट की उड़ान के बाद एक-एक करके तीन डीएमसी3 सेटेलाइट को छोड़ा। इसके बाद उसने डि आर्बिट सेल नैनो सेटेलाइट और सीएनबीटी-1 को उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया।
हर गतिविधि पर रखेंगे नजर
पीएसएलवी अपने साथ जिन उपग्रहों को अंतरिक्ष ले गया है, वह रोजाना पृथ्वी पर किसी भी लक्ष्य का फोटो उतारने में सक्षम हैं। यानी धरती की हर गतिविधियों पर निगरानी में समर्थ हैं। इसके अलावा इन उपग्रहों के जरिये धरती पर मौजूद संसाधनों का सर्वेक्षण, पर्यावरण पर निगरानी, शहरी बुनियादी ढांचे का प्रबंधन और प्राकृतिक आपदाओं पर नजर रखना संभव हो सकेगा।
ये हैं उपग्रह
जिन पांच ब्रिटिश उपग्रहों को पीएसएलवी से अंतरिक्ष में भेजा गया है। उनमें तीन तो डीएमसी3 ऑप्टिकल अर्थ आब्जर्वेशन सेटेलाइट हैं। इनका निर्माण ब्रिटेन की सर्रे सेटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड ने किया है। इन तीनों उपग्रहों में प्रत्येक का वजन 447 किलोग्राम है। इसके अलावा जो दो अन्य उपग्रह हैं, उनमें से एक सीबीएनटी-1 का वजन 91 किलो है। इनके साथ 9 किलोग्राम वजन का एक डि आर्बिट सेल नैनो सेटेलाइट भी है।
अब तक 19 देशों के 45 उपग्रह भेजे
पांच ब्रिटिश उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत ने अरबों डॉलर के अंतरिक्ष कारोबार के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। इन उपग्रहों को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब तक 19 देशों के 45 उपग्रहों को अंतरिक्ष भेज चुका है। सभी विदेशी उपग्रहों को पीएसएलवी रॉकेट के जरिये ही अंतरिक्ष में उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया गया है। वैसे इसरो का यह रॉकेट कुल 70 उपग्रहों को अंतरिक्ष की सैर करा चुका है। 2008 में इसरो ने अकेले एक अभियान में दस उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर इतिहास बना चुका है।