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भारत की लंबी छलांग : अब नासा की तरह अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजेगा इसरो

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार सुबह सात बजे इससे लैस मॉड्यूल का सफल परीक्षण किया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 12:26 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 02:23 PM (IST)
भारत की लंबी छलांग : अब नासा की तरह अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजेगा इसरो
भारत की लंबी छलांग : अब नासा की तरह अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजेगा इसरो

चेन्नई [आइएएनएस/प्रेट्र]। अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की दिशा में किए जाने वाले कई प्रयोगों की कड़ी के तहत अपना पहला अहम कदम उठाते हुए इसरो ने क्रू एस्केप सिस्टम यानी यात्री बचाव प्रणाली का सफल परीक्षण कर लिया है।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार सुबह सात बजे इससे लैस मॉड्यूल का सफल परीक्षण किया। इसके जरिये लांचिंग के दौरान किसी भी तरह की आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को यान से सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा। क्रू एस्केप सिस्टम से लैस इस माड्यूल को स्पेस फ्लाइट के साथ जोड़कर भेजा जाएगा। लांचिंग के समय हादसा होने की स्थिति में यह मॉड्यूल यान से खुद ब खुद अलग हो जाएगा और पैराशूट के जरिये पानी या जमीन तक पहुंच जाएगा।

इसरो के मुताबिक, पहले परीक्षण (पैड निष्फल परीक्षण/लांच अबॉर्ट टेस्ट) में लांचिंग पैड से छोड़े गए अंतरिक्ष यान में इंसानों की जगह इस मॉड्यूल का इस्तेमाल किया गया। इसके तहत 12.6 टन भारी मॉड्यूल को श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से गुरुवार सुबह सात बजे छोड़ा गया। यह टेस्ट करीब 259 सेकेंड चला।

लांचिंग के बाद क्रू एस्केप सिस्टम से लैस टेस्टिंग मॉड्यूल ने अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान भरी और बंगाल की खाड़ी में वृत्ताकार घूमते हुए अपने पैराशूट से पृथ्वी पर वापस लौट आई। परीक्षण उड़ान के दौरान लगभग 300 सेंसर ने विभिन्न मिशन प्रदर्शन मानकों को रिकॉर्ड किया। इसरो के अनुसार, प्रथम परीक्षण में लांच पैड पर किसी भी जरूरत पर क्रू सदस्यों को सुरक्षित बचाने की प्रणाली को दिखाया गया।

मानव अभियान वाले देश

वोस्तोक 1 अभियान
इतिहास में पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान 12 अप्रैल 1961 को वोस्तोक 1 अंतरिक्ष यान से सोवियत संघ ने यूरी गगारिन को अंतरिक्ष भेजा। यह अंतरिक्ष यान वोस्तोक कार्यक्रम का हिस्सा था। जिसमें छह मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान 1961-63 तक की गई थी। आगे दो और मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान 1964 और 1965 में वोस्तोक अंतरिक्ष यान द्वारा की गई थी। 1960 के दशक के अंत तक दोनों यान को सोयूज़ अंतरिक्ष यान से विस्थापित कर दिया गया।

मरकरी अभियान
सोवितय संघ की चुनौती स्वीकार करते हुए 1961 में ही अमेरिका ने मरकरी मिशन लांच किया। फ्रीडम-7 अंतरिक्षयान पांच मई को एलन शेफर्ड को फ्लोरिडा से लेकर रवाना हुआ। इस तरह अंतरिक्ष पहुंचने वाले एलन पहले अमेरिकी बने।

शेनझाऊ-5 प्रोग्राम
आर्थिक महाशक्ति का आभास कराने के लिए अमेरिका और रूस को टक्कर देना चीन के लिए जरूरी था। लिहाजा 2003 में चीन ने यह अभियान अंतरिक्ष रवाना किया। इसके तहत 15 अक्टूबर को यांग लीवी अंतरिक्ष पहुंचने वाले पहले चीनी नागरिक बने।

पहला भारतीय
भारतीय वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा ने रूस के सोयुज टी- 11 यान से दो अप्रैल, 1984 को अंतरिक्ष की उड़ान भरी। अंतरिक्ष पहुंचने वाले पहले और अब तक एक मात्र भारतीय नागरिक बने। अंतरिक्ष उड़ान के दौरान भारत की तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि ऊपर से अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। राकेश शर्मा ने उत्तर दिया- "सारे जहाँ से अच्छा"।


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