इंडोनेशिया को वैक्सीन भेजने को तैयार है भारत, अब तक 100 देशों को भेजी जा चुकी है 6.5 करोड़ खुराक
भारत ने इस साल करीब 100 देशों को कोरोना रोधी टीके की 6.5 करोड़ से अधिक डोज का निर्यात किया है। भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास के कारण ही हाल के दिनों में भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाने लगा है।
नई दिल्ली, रायटर। भारत ने सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (SII ) द्वारा बनाई गई कोरोनारोधी नोवावैक्स वैक्सीन की दो करोड़ डोज के इंडोनेशिया को निर्यात को मंजूरी दे दी है। सरकार ने इसके साथ ही SII द्वारा निर्मित कोविशील्ड के एक करोड़ डोज के निर्यात को भी हरी झंडी दे दी है। कोविशील्ड को अन्य देशों में एस्ट्राजेनेका के नाम से भी जाना जाता है। यह निर्यात इस महीने के अंत तक कर दिया जाएगा। यह जानकारी सरकारी सूत्रों ने दी।
उल्लेखनीय है कि भारत ने इस साल करीब 100 देशों को कोरोना रोधी टीके की 6.5 करोड़ से अधिक डोज का निर्यात किया है। भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास के कारण ही हाल के दिनों में भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाने लगा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बातें फर्मास्युटिकल क्षेत्र के पहले वैश्विक नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का दृष्टिकोण नवाचार के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो देश को दवा खोज और नवीन चिकित्सा उपकरणों में अग्रणी बनाएगा। उन्होंने कहा कि जब देश के 1.3 अरब लोगों ने भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है, हमें वैक्सीन और दवाओं के लिए प्रमुख सामग्री के घरेलू निर्माण को बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं आप सभी को भारत में विचार करने, भारत में नवाचार करने, भारत में बनाने और दुनिया के लिए बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं। अपनी असली ताकत की पहचान करें और दुनिया की सेवा करें। उन्होंने कहा कि हमने महामारी के शुरुआती चरण के दौरान 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाएं और चिकित्सा उपकरण निर्यात किए।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि करीब 30 लाख लोगों को रोजगार और 13 अरब अमेरिकी डालर (965 अरब रुपये) के व्यापार अधिशेष के साथ फार्मा क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है। उन्होंने कहा कि भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने 2014 से अब तक 12 अरब अमेरिकी डालर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) आकर्षित किया है और इसमें और अधिक की संभावना है।