देश के बीमार स्वास्थ्य ढांचे में फूंकनी होगी जान, तभी जीत पाएंगे कारोना महामारी से
Indias Healthcare System Crumbling 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में राज्यों को वर्ष 2020 तक अपने बजट का कम से कम आठ फीसद स्वास्थ्य के लिए आवंटित करने की सिफारिश की गई। लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 में राज्यों का औसत खर्च मात्र 5.18 फीसद ही पहुंच सका।
नई दिल्ली, राजीव कुमार। India's Healthcare System Crumbling कोरोना से बचाव के लिए देशभर में टीकाकरण के दायरे में सभी वयस्कों को शामिल कर लिया गया है, लेकिन उपलब्धता के अभाव में समूची आबादी के टीकाकरण में कई माह का समय लग सकता है। ऐसे में उपलब्ध वैक्सीन की प्रत्येक डोज का इस्तेमाल सुनिश्चित होना चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर ने देश के स्वास्थ्य ढांचे की कलई खोल दी है। सभी सरकारों के हाथ-पैर फूलने लगे हैं। सोचिए, जब शहर ही हांफ रहे हैं तो हमारे गांवों की क्या दशा होगी। 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की स्याह तस्वीर दिखाती है। पेश है एक नजर:
राज्य भी पिछड़े: 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में राज्यों को वर्ष 2020 तक अपने बजट का कम से कम आठ फीसद स्वास्थ्य के लिए आवंटित करने की सिफारिश की गई। लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 में राज्यों का औसत खर्च मात्र 5.18 फीसद ही पहुंच सका। 66 फीसद को प्राथमिक स्वास्थ्य पर खर्च करने की सिफारिश की गई, लेकिन महज 53 फीसद ही खर्च किए जा रहे हैं।
राज्यों में प्रति लाख सरकारी अस्पताल
बिहार 0.9
उत्तर प्रदेश 0.4
राजस्थान 0.2
पंजाब 0.4
हरियाणा 0.4
झारखंड 0.6
मध्य प्रदेश 1.6
प्रति हजार पर
उपलब्ध डाक्टर
झारखंड 5.7
बिहार 2.6
उत्तर प्रदेश 2.6
हरियाणा 4.4
मध्य प्रदेश 1.9
पंजाब 0.6
प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च
रुपये में ( 2018-19)
बिहार 616
उत्तर प्रदेश 807
झारखंड 913
मध्य प्रदेश 947
पंजाब 1049
हरियाणा 1422
छत्तीसगढ़ 1303
उत्तराखंड 1878
हिमाचल प्रदेश 3074
राज्यों के कुल खर्च में स्वास्थ्य की हिस्सेदारी
(फीसद में, 2018-19)
पंजाब 4.1
हरियाणा 4.3
मध्य प्रदेश 4.5
उत्तर प्रदेश 4.89
बिहार 4.96
झारखंड 5.41
उत्तराखंड 5.44
हिमाचल प्रदेश 6.49
विडंबना: भारत में प्रति एक हजार आबादी के लिए एक भी बेड नहीं उपलब्ध। अमेरिका और ब्रिटेन में यह औसत तीन से अधिक बेड का है।
खर्च में हो वृद्धि: स्वास्थ्य राज्य का विषय है। 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में स्वास्थ्य खर्च को जीडीपी का 2.5 फीसद तक ले जाने की सिफारिश की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।