सरकार और नीति निर्धारक हो जाएं सावधान, विकसित देश बनने को भारत के पास सिर्फ एक दशक
भारत के पास विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए एक दशक का सीमित समय है।
मुंबई, प्रेट्र। विकसित देश बनने के लिए भारत के पास सिर्फ एक दशक वक्त है। इसके लिए उसे शिक्षा पर खास ध्यान देना होगा। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च फर्म एसबीआइ रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अगर भारत विकसित देश बनने में विफल रहता है तो डेमोग्राफिक डिविडेंड के रूप में जिस पहलू की अभी तारीफ हो रही है, वह इसके बाद समस्या बन जाएगा।
- डेमोग्राफिक डिविडेंड पाने के लिए युवाओं की शिक्षा फोकस जरूरी
- एक दशक में विकसित नहीं हुए तो फिर मौका नहीं मिलेगा: एसबीआइ
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर भारत इस दौरान विकसित देश नहीं बन पाया तो वह कभी यह दर्जा हासिल नहीं कर पाएगा। भारत के पास विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए एक दशक का सीमित समय है। अगर ऐसा नहीं हो पाया तो वह उभरती अर्थव्यवस्था ही बनकर रह जाएगा। रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से नीति नियंताओं को आगाह किया है कि वे सावधान हो जाएं और वक्त की नजाकत को समझ लें।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार और नीति निर्धारकों को युवा आबादी पर खास ध्यान देना होगा ताकि वे अच्छे नागरिक बन सकें। शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने की सख्त जरूरत है ताकि युवा आबादी का लाभ उठाया जा सके और विकसित देश का दर्जा हासिल किया जा सके।
बढ़ने लगेगी बुजुर्गो की संख्या
आज भारत के लिए युवा आबादी डेमोग्राफिक डिविडेंड के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन 2030 तक यह समस्या बन सकता है। जनसंख्या वृद्धि से संकेत मिल रहे हैं कि पिछले दो दशकों में वृद्धि दर 18 करोड़ पर स्थिर हो गई है। इसमें और बढ़ोतरी नहीं हो रही है। पिछले कुछ दशकों के दौरान कर्नाटक में तो जन्म दर घटी है। इससे 60 साल की ज्यादा आयु के लोगों का अनुपात 2011 में 9.5 फीसद हो गया जबकि 1971 यह अनुपात 6.1 फीसद था।
सरकारी स्कूलों को सुधारें
रिपोर्ट में कहा गया है कि संपन्नता बढ़ने के साथ लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजना पसंद कर रहे हैं, न कि सरकारी स्कूलों में। जबकि बड़ी आबादी इन्हीं स्कूलों पर निर्भर है। समय की मांग है कि सभी राज्यों में सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारी जाए।
एसबीआइ के अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा के अधिकार के तहत अनुदान देना बंद किया जाए और यह पैसा सरकारी स्कूलों को सुधारने में खर्च किया जाए। सरकार शिक्षा के अधिकार के तहत गरीबों के बच्चों की शिक्षा के लिए वित्तीय मदद देती है। बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाया जाए और बेहतर वेतन पर योग्य अध्यापक नियुक्त किए जाएं।
फिच ने भारत का आर्थिक विकास दर अनुमान बढ़ाया
फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भारत का विकास अनुमान सुधारकर 7.4 फीसद कर दिया है। हालांकि उसने उच्च पूंजी लागत और कच्चे तेल की महंगाई को जोखिमों के तौर पर माना है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि इस साल एशियाई मुद्राओं में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। फिच ने पहले भारत की विकास दर 7.3 फीसद रहने का अनुमान जताया था। अगले साल उसने 7.5 फीसद विकास दर रहने की संभावना जताई है।
अनुमान है कि इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का मूल्य 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहेगा। पिछले साल इसकी कीमत 54.9 डॉलर रही थी। अनुमान है कि अगले साल कीमत घटकर 65 डॉलर प्रति बैरल पर आ सकती है।