Corruption Perception Index: भारत में कम हुआ भ्रष्टाचार, 40 अंकों के साथ 85वां स्थान
भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर है जो पिछले साल 86वें स्थान पर था। डेनमार्क न्यूजीलैंड और फिनलैंड 88-88 अंकों के साथ शीर्ष पर रहा वहीं पाकिस्तान 140वें स्थान पर मौजूद है ।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पिछले एक साल में भारत में भ्रष्टाचार कम हुआ है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के नवीनतम भ्रष्टाचार संवेदन सूचकांक (सीपीआइ 2021) में भारत एक अंक चढ़कर 85वें स्थान पर आ गया है। 2020 में भारत 86वें स्थान पर था। भारत में यह सुधार इस लिहाज से और बेहतर है, क्योंकि कोरोना के बुरे प्रभाव के चलते गत वर्ष कई देशों को भ्रष्टाचार कम करने में खास सफलता नहीं मिली।
इस सूचकांक के अनुसार, ' न केवल प्रणालीगत भ्रष्टाचार और कमजोर संस्थानों वाले देशों में, बल्कि स्थापित लोकतांत्रिक देशों में अधिकारों और नियंत्रण एवं संतुलन की व्यवस्था को तेजी से कमजोर किया जा रहा है।' रिपोर्ट में पिछले एक साल के जिन मुद्दों का जिक्र किया गया है, उनमें दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नेताओं की जासूसी से जुड़ा पेगासस साफ्टवेयर का इस्तेमाल भी शामिल है।
88 अंक के साथ तीन देश पहले स्थान पर
रिपोर्ट में देशों को शून्य यानी 'अत्यधिक भ्रष्ट' और 100 यानी 'अत्यंत पादर्शिता' के पैमाने पर स्थान दिया गया है। भारत को 40 अंक मिले हैं। डेनमार्क, न्यूजीलैंड और फिनलैंड 88-88 अंकों के साथ पहले स्थान पर रहे। नार्वे, सिंगापुर, स्वीडन, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, लक्जेमबर्ग और जर्मनी ने शीर्ष 10 में जगह बनाई। ब्रिटेन 78 अंकों के साथ 11वें स्थान पर रहा। अमेरिका को 2020 में 67 अंक मिले थे। उसे इस बार भी इतने ही अंक मिले हैं, लेकिन वह दो स्थान लुढ़कर 27वें पर रहा है।
180 देशों व क्षेत्रों को दिए गए हैं अंक
इस सूचकांक में 180 देशों और क्षेत्रों को अंक दिए गए हैं। दक्षिण सूडान 11 अंकों के साथ सबसे निचले स्थान पर रहा। चीन को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश उससे पीछे हैं। चीन को 45 अंक मिले हैं। पाकिस्तान 28 अंकों के साथ 16 पायदान और नीचे फिसल गया है। वह 124 से 140वें स्थान पर पहुंच गया है। बांग्लादेश 26 अंकों के साथ 147वें स्थान पर है। जर्मनी के गैर लाभकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि दुनिया के ज्यादातर देशों में पिछले एक दशक में भ्रष्टाचार के स्तर को कम करने के लिए बहुत कम या कोई प्रगति नहीं हुई है।