प्राकृतिक आपदा से मानव जीवन के नुकसान के साथ दुर्लभ जीव-जंतुओं का मरना बेहद चिंताजनक
इस वर्ष बाढ़ के कारण अब तक इन दोनों राज्यों में सौ से अधिक वन्य जीवों की मृत्यु हो चुकी है। इसमें नौ दुर्लभ एक सींग वाले गैंडे भी शामिल हैं।
अमरजीत कुमार। बिहार और असम में बाढ़ के कारण मानव जीवन के अस्त-व्यस्त हो जाने की खबरें चर्चा में हैं, लेकिन बाढ़ के कारण जंगलों में सामान्य ही नहीं, बल्कि दुर्लभ जंतुओं के मरने तक की खबरें नदारद हैं। जब हम देश में बाघों की संख्या में आशातीत वृद्धि का जश्न मना रहे हैं, तब दुर्लभ जंतुओं का मरना बेहद चिंताजनक है। इस वर्ष बाढ़ के कारण अब तक इन दोनों राज्यों में सौ से अधिक वन्य जीवों की मृत्यु हो चुकी है। इसमें नौ दुर्लभ एक सींग वाले गैंडे भी शामिल हैं।
प्राकृतिक आपदा की स्थिति में जानवरों का ज्यादा नुकसान: यह कोई पहली बार नहीं है जब बाढ़ के कारण इतनी संख्या में जीव-जंतुओं की मृत्यु हुई है। 2017 और 2019 में क्रमश: 361 और 209 जानवरों की मृत्यु केवल काजीरंगा नेशनल पार्क में हुई थी। ये आंकड़े बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन और नष्ट होते जंगल क्षेत्र प्राकृतिक आपदा की स्थिति में जानवरों का ज्यादा नुकसान कर रहे हैं। भू-स्खलन में वृद्धि, नदी जल संग्रहण क्षेत्र में अत्यधिक गाद के जमाव के कारण नदियों में पानी संग्रह की क्षमता कम हुई है, जिसके कारण बाढ़ का पानी जीव आरक्षित क्षेत्रों में फैल जाता है और जीव-जंतुओं के लिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
जीव-जंतुओं की मृत्यु को रोकने के लिए खाका तैयार नहीं: बिहार में हर साल बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से जान-माल का काफी नुकसान होता है। सरकारें इसके लिए कई बार राहत कार्य के लिए वित्तीय प्रावधान करती हैं। फिर क्या यही सजगता और कार्यनीति जंगली जानवरों के लिए नहीं बन सकती है? क्या सरकारों को आग और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जीव-जंतुओं की मृत्यु को रोकने के लिए खाका तैयार नहीं करना चाहिए?
वन क्षेत्रों में प्राकृतिक संतुलन बनाना अति आवश्यक है। इसके लिए पेड़ों की कटाई और अवैध खनन को रोकने की जरूरत है। इससे भू-स्खलन के मामले बढ़ रहे हैं और जीव-जंतुओं के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। बाढ़ जैसी आपदा से जीव-जंतुओं को बचाने के लिए वन क्षेत्रों में सुरक्षित कॉरिडोर का निर्माण किया जाना चाहिए और उसे ऊंचाई वाले स्थानों से जोड़ना चाहिए ताकि बाढ़ की स्थिति में जंगली जीव-जंतु इसका प्रयोग कर ऊंचाई वाले स्थानों पर जा सकें।
जीव-जंतुओं की मृत्यु होती रही तो उनके अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा: अगर जंगली जीव-जंतुओं के जीवन को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से संरक्षित किया जाए तो असल में इसी से वन क्षत्रों का विकास और संरक्षण होने लगेगा। उनके प्राकृतिक आवास ही उनकी उत्तरजीविता बनाए रखने का काम करते हैं। अगर इसी तरह प्राकृतिक आपदा में जीव-जंतुओं की मृत्यु होती रही तो उनके अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा। साथ ही प्राकृतिक संतुलन का ताना-बना भी बिगड़ जाएगा। जरूरत है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी इस पर एक ठोस रणनीति के तहत कार्य करें और मानव जनित और गैर मानव जनित प्राकृतिक आपदाओं से जीव जंतु की रक्षा सुनिश्चित करें।
(शोधार्थी, वीर कुंवर सिंह विवि, बिहार)