Lockdown India: शहरों से पलायन कर गांवों को लौटे लाखों लोगों को शरण नहीं दे रहे खुद अपने
Coronavirus प्रशासन समेत स्वास्थ्य विभाग ने भी स्पष्ट कर दिया है कि लोगों के घर पर अलग कमरे की व्यवस्था है तो बाहर से आने वाले खुद को होम क्वारंटाइन कर सकते हैं।
राजेश्वर शुक्ला, गोरखपुर। Coronavirus: जिनके आने पर खुशियां दोगुनी हो जाती थीं, अब वही बेगाने लगने लगे हैं। संवेदनाएं मौन हैं, बेबस हैं क्योंकि कोरोना को हराना भी तो है। डर है तो उम्मीद भी है कि जीत की खुशी साथ मनाएंगे। हालांकि क्वारंटाइन तो घर में भी किया जा सकता है, बस थोड़ी सी सतर्कता और दिए गए निर्देशों का पालन ही करना होता है, लेकिन सूझबूझ पर दहशत भारी पड़ रही है।
गोरखपुर में हमने जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की, जहां बड़ी संख्या में बाहर से लोगों का आना जारी है। मां-बाप, पत्नी, भाई व बहन जिनका इंतजार करते थे, अब वही घरवालों को बेगाने लगने लगे हैं। हालांकि यह बतौर सजगता ठीक भी है। डॉक्टरों ने बाहर से आने वाले लोगों को 14 दिन क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी है। इसके प्रति गांव के लोगों में जागरूकता बढ़ी है। वह किसी भी दशा में संक्रमण को बढ़ने देना नहीं चाहते। लेकिन मानवीय संवेदनाएं को झकझोरने वाला यह पहलू नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है।
बहरहाल, प्रशासन समेत स्वास्थ्य विभाग ने भी स्पष्ट कर दिया है कि लोगों के घर पर अलग कमरे की व्यवस्था है, तो बाहर से आने वाले खुद को होम क्वारंटाइन कर सकते हैं। इसके लिए जिला प्रशासन लगातार गांवों में जागरूकता अभियान चला रहा है। गांवों के बाहर क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं।
दृश्य-1
गोरखपुर, उप्र के हरपुर निवासी संत कुमार बेंगलुरु में मजदूरी करते थे। लॉक डाउन के बाद जब गांव पहुंचे तो घर के दरवाजे पर कदम रखने ही वाले थे कि पिता झकरी शर्मा की आवाज कानों तक पहुंची, वहीं रुक जाओ घर के अंदर मत आना...। संत कुमार सन्न रह गए। उन्होंने कहा कि बाबूजी आपके पैर तो छू लूं, लेकिन पिता ने एक न सुनी। झकरी ने बेटे से दो टूक कह दिया कि 14 दिन तक गांव के बाहर ही रहो, उसके बाद पैर छू लेना। संत की पांच मई को शादी है।
दृश्य-2
ग्राम महुअवां खुर्द निवासी दिलीप कुमार रास्ते की कठिनाइयों की परवाह किए बिना गांव के लिए निकल पड़े। उन्हें लगा, यहां तो सब अपने हैं, पर इसका तनिक भी अंदाजा नहीं था कि सैकड़ों किमी लंबे सफर के बाद उन्हें घर में प्रवेश नहीं मिलेगा। उन्होंने जैसे ही घर की दहलीज पर कदम रखा, आवाज लगाई कि मां मैं आ गया हूं। मां लक्ष्मी, बहन श्रृंखला व भाभी आरती ने एक ही पल में दिलीप की खुशियों को काफूर कर दिया। घरवालों ने कह दिया कि अभी कुछ दिन बाहर ही रहना होगा।
दृश्य-3
कूबाबार कनपुरवा के धु्रव साहनी दिल्ली में लोहा काटने का काम करते हैं। तीन दिन पहले दिल्ली से घर के लिए निकले। करीब तीन सौ किमी का सफर पैदल तय किया। कानपुर में बस मिली, तो राह आसान हुई। घर पहुंचे तो पत्नी, बेटी व बेटे ने अंदर आने देने से मना कर दिया। पहले ही बोझिल जिंदगी और भारी लगने लगी।
फिजीशियन, डॉ. चक्रपाणि पांडेय ने बताया कि यदि उनमें संक्रमण है तो पूरे समाज में फैल सकता है। इसलिए 14 दिन क्वारंटाइन में बिताकर वे अपनी, परिवार, समाज व देश की मदद करें। प्रशासन उनके रहने-खाने की पूरी व्यवस्था कर रहा है। प्रशासन के निर्देशों का पालन करना सभी के हित में है, इसका ध्यान रखें।
मुख्य विकास अधिकारी, हर्षिता माथुर ने बताया कि बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की मॉनिटरिंग की जा रही है। ग्राम पंचायत कोरोना वायरस प्रबंधन समिति को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। जिन लोगों के घरों में रहने की सुविधा उपलब्ध है, उन्हें घरों में ही अलग कमरे में रुकने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे लोगों के स्वास्थ्य की नियमित जांच के लिए मेडिकल टीमें भी लगाई गई हैं।