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थल सेना के पास होगा स्‍वेदशी कवच: हवा में ही नष्‍ट हो जाएगी दुश्‍मन की मिसाइल

इसके साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा मुल्‍कों में शामिल हो गया है, जिनके पास दुश्‍मन के मिसाइल को हवा में ही नष्‍ट करने की तकनीक मौजूद है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 03:13 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 03:13 PM (IST)
थल सेना के पास होगा स्‍वेदशी कवच: हवा में ही नष्‍ट हो जाएगी दुश्‍मन की मिसाइल
थल सेना के पास होगा स्‍वेदशी कवच: हवा में ही नष्‍ट हो जाएगी दुश्‍मन की मिसाइल

नई दिल्‍ली  [ जेएनएन ] । रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के इस नए परीक्षण के बाद भारत ने दो परतों वाली बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में नए आयाम को हासिल कर लिया है। भारत को कम और ज्‍यादा ऊंचाई से लक्ष्‍य भेदने में सक्षम दो स्‍तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने में बड़ी कामयाबी हालिस कर ली है। इसके साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा मुल्‍कों में शामिल हो गया है, जिनके पास दुश्‍मन के मिसाइल को हवा में ही नष्‍ट करने की तकनीक मौजूद है। इस स्‍वेदशी कवच के सुरक्षा खेमें में जुड़ने के बाद भारतीय थल सेना को मदद मिलेगी। ये मिसाइल आधुनिक तकनीक से लैस है। आखिर क्‍या इंटरसेप्टर मिसाइल और कैसे उपयोगी है।

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क्‍या है पृथ्वी रक्षा यान (पीडीवी) मिशन

भारत ने रविवार की रात ओडिशा तट पर अब्दुल कलाम द्वीप से एक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। पृथ्वी रक्षा यान (पीडीवी) मिशन पृथ्वी के वायुमंडल में 50 किमी से ऊपर की ऊंचाई पर लक्ष्य साधने में सफल रहा। डीआरडीओ के मुताबिक रविवार की रात परीक्षण के दौरान पीडीवी इंटरसेप्टर और लक्ष्‍य मिसाइल दोनों सफलतापूर्वक जुड़ गए थे। परीक्षण के दाैरान रडार से आ रहे आंकड़ों का कंप्‍यूटर नेटवर्क से सटीक विश्‍लेषण किया गया और पृथ्‍वी रक्षा यान ने आने वाले मिसाइल को मार गिराया। इस दोरान इंटरसेप्टर मिसाइल उच्‍च दक्षता वाले इंट्री इन्वेंशन प्रणाली यानी आईएनएस से निर्देशित हुई। इतनी ऊंचाई पर मिसाइल को ध्‍वस्‍त करने का फायदा यह है कि मिसाइलों का मलवा जमीन पर नहीं गिरता, जिससे किसी और को नकुसान का खतरा नहीं होता।

मजबूत हुई भारतीय थल सेना

डीआरडीओ की ओर से बहुस्‍तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने का मकसद देश को दुश्‍मनों की खतरनाक मिसाइलों और उसके हमलों से बचाना है। इस स्‍वेदशी कवच के सुरक्षा खेमें में जुड़ने के बाद भारतीय थल सेना को मदद मिलेगी। ये मिसाइल आधुनिक तकनीक से लैस है। इसके जरिए दुश्‍मन के किसी हवाई हमले को आसमान में ही रोका जा सकेगा। दरअसल, डीआरडीओ ने बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के तहत दो तरह के मिसाइलाें का निर्माण‍ किया है। इनमें पहला है पृथ्‍वी एयर डिफेंस मिसाइल और दूसरा है एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल। पृथ्‍वी एयर डिफंस मिसाइल का इस्‍तेमाल अधिक ऊंचाई पर दुश्‍मनों के बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्‍ट करने के लिए किया जाता है। पृथ्‍वी एयर डिफेंस मिसाइल धरती के बाहरी वायुमंडल में 50 से 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर दुश्‍मनों की मिसाइलाें को नष्‍ट करने में सक्षम है। वहीं एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल निचले सतह पर दुश्‍मनों के बैलिस्टिक मिसाइलों को भेदने के लिए है। ये आंतरिक वायुमंडल में 15 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर मिसाइलों को नष्‍ट करने की क्षमता रखता है। इसका इस्‍तेमाल बैलिस्टिक मिसालों में उड़ान के समय ही परमाणु, रासायनिक, जैविक या पारंपरिक हथियारों के आपूर्ति के लिए भी  किया जाता है।

शहर हुए सुरक्षित

डीआरडीओ का दावा है कि एक संक्षिप्‍त सूचना के बाद इसे किसी शहर में तैनात किया जा सकता है। भारत की यह मिसाइल अमेरिकी रक्षा प्रणाली पीएसी-3 पैट्रियट प्रणाली की तर्ज पर कार्य करती है। पहचे चरण में यह मिसाइलें 2500 किमी दूर से आने वाली दुश्‍मन के बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। दुसरे चरण के पूरा होने पर दोनो एंटी बैलिस्टिक मिसाइल वातावरण के अंदर और बाहर दोनों क्षेत्रों में 5000 किमी तक  आने वाली मिसाइलों को नष्ट कर सकती हैं।

एंटी बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट करने वाला भारत चौथा मुल्‍क

पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल यानी एंटी बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक रखने वाला अमेरिका, रूस तथा इस्रराइल के बाद दुनिया का चौथा मुल्‍क बन गया है। पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल को नवंबर 2006 तथा एडवांस एयर डिफेंस को दिसंबर 2007 में टेस्ट किया गया था। तब से इस तकनीक का लगातार परीक्षण जारी है।


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