India China Tension: एलएसी पर चीन की किसी भी हिमाकत का मिलेगा माकूल जवाब, जानें क्या हैं भारत की तैयारियां
चीन की आक्रामकता को लेकर भारत बेहद सतर्क है। भारत सीमा पर चीन की हर हरकत पर करीबी नजर बनाए हुए है। भारत पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश में तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहा है। साथ ही सुरक्षा बलों को भी तैयार कर रहा है...

नई दिल्ली, एएनआइ। पिछले दो वर्षों से चीन के साथ जारी सैन्य गतिरोध के बीच भारतीय सुरक्षा बल उच्च स्तर की परिचालन तैयारियों में जुटे हुए हैं। भारतीय सुरक्षा बल लद्दाख क्षेत्र (Ladakh Sector) में नए बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं। सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारतीय सेना (Indian Army) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (Indo Tibetan Border Police) के बीच समन्वय को बढ़ाने के लिए दोनों बल कई संयुक्त अभ्यास कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारतीय सुरक्षा बल आकस्मिक परिस्थितियों के लिए अपनी तैयारियों को धार देने में जुटे हैं। हाल ही में भारतीय सेना और आईटीबीपी ने चीन के साथ उत्तराखंड की सीमा पर समन्वय बढ़ाने के लिए क्षेत्र में एक संयुक्त अभ्यास किया था। हालांकि, दूसरी तरफ चीन भी चुप नहीं है। चीनी सेनाएं भी अपना ग्रीष्मकालीन अभ्यास कर रही हैं। चीनी सेना की बटालियनें नियमित रूप से क्षेत्र में आवाजाही कर रही हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीन की गतिविधियों पर भी लगातार नजर रखी जा रही है। यह देखा गया है कि उनकी बटालियनें प्रशिक्षण क्षेत्रों में आ रही हैं और नियमित अंतराल पर बटालियनों को बदल रही हैं। यही नहीं चीनी पक्ष ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) से सटे अपने इलाकों में भारी बुनियादी ढांचा बनाया है। यहां वे अपने सैनिकों के लिए स्थायी आवास भी बना रहे हैं। चीन अपने सैनिकों को अग्रिम स्थानों तक तेजी से पहुंचाने के लिए पैंगोंग त्सो पर पुल जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
वहीं, भारत भी देपसांह के मैदानों तक पहुंच बनाने और इसे नुब्रा घाटी से जोड़ने के लिए वैकल्पिक सड़कों का निर्माण कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि जिस समय चीन ने अप्रैल-मई, 2020 में एलएसी पर एकतरफा गतिविधि शुरू किया था, तभी से भारत भी अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्यों में और तेजी ला दिया है। दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में दुरबुक-श्योक-डीबीओ सड़क के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। यह सैनिकों को क्षेत्र में जाने की अनुमति देगा, क्योंकि यह सभी मौसम वाली सड़क होगी।
यही नहीं, पश्चिमी क्षेत्र में एयरबेस भी है जिसे सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में संचालन समेत पूर्वी और पश्चिमी दोनों क्षेत्रों को सैन्य सहायता पहुंचाने के काम में लाया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि खारदुंगला दर्रे के साथ सड़क नेटवर्क को भी उन्नत किया गया है, जो नुब्रा घाटी तक पहुंच प्रदान करता है। यही नहीं, भारत ने चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए एक अतिरिक्त स्ट्राइक कोर भी तैनात की है। लेह से पूर्वी लद्दाख तक के बुनियादी ढांचे को भी मजबूत किया गया है, ताकि अग्रिम चौकियों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
Edited By Krishna Bihari Singh