India China Tension : चीन को सबक सिखाने को बनाए जा रहे गाय के गोबर से 33 करोड़ दीये
इस बार दीपावली पर चीन को सबक सिखाने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गाय के गोबर से 33 करोड़ दीयों को बनाकर बाजार में उतारेगा। आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने कहा कि हमारा उद्देश्य चीन निर्मित दीयों को खारिज कर मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। इस बार दीपावली पर चीन को सबक सिखाने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गाय के गोबर से 33 करोड़ दीयों को बनाकर बाजार में उतारेगा। यह जानकारी सोमवार को आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने दी। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारा उद्देश्य चीन निर्मित दीयों को खारिज कर मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है।
तीन लाख दीये अयोध्या में जलाए जाएंगे
इस अभियान में शामिल होने के लिए 15 से अधिक राज्यों ने अपनी सहमति दी है। उन्होंने कहा कि इसमें से लगभग तीन लाख दीये पवित्र शहर अयोध्या में जलाए जाएंगे, जबकि वाराणसी में एक लाख दीये जलाए जाएंगे। स्वैच्छिक संगठनों की मदद से इसे बनाने का कार्य शुरू हो चुका है। दीपावली तक 33 करोड़ दीये बनाने के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। कहा कि इस अभियान से आर्थिक रूप से परेशान गोशालाओं को बहुत मदद मिलेगी।
#WATCH: Cow dung will protect everyone, it is anti-radiation... It's scientifically proven...This is a radiation chip that can be used in mobile phones to reduce radiation. It'll be safeguard against diseases: Rashtriya Kamdhenu Aayog Chairman Vallabhbhai Kathiria (12.10.2020) pic.twitter.com/bgr9WZPUxK— ANI (@ANI) October 13, 2020
गौरतलब है कि भारतीय मवेशियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 2019 में स्थापित किए गए आयोग ने आगामी त्योहार के दौरान गोबर आधारित उत्पादों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है। इस कार्य में स्वयंसेवी संगठनों और गोशालाओं से भी मदद ली जा रही है। आयोग गाय के गोबर से बने उत्पादों को स्वयं नहीं बना रहा, बल्कि लोगों को ट्रेनिंग देकर इस काम के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। आयोग को इस काम में सफलता भी मिल रही है।
दीवाली पर इलेक्ट्रानिक व्यापारी देंगे चीन को झटका, नहीं बुक किए चाइनीज झालरों के आर्डर
चीन के साथ तनातनी के बाद इस बार दीपावली के लिए चाइनीज झालरों के आर्डर देश के व्यापारियों ने बुक नहीं किए हैं। अगस्त अंत और सितंबर महीने में ही करोड़ों के आर्डर दिए जाते थे। व्यापारी अब खुद ही देसी झालर और फैंसी लाइटें बना रहे हैं। हर साल 10 करोड़ से अधिक रुपये का आर्डर झालरों के लिए चीन को दिया जाता था।