India China Border Tension: शातिर चीन के दिल में कुछ और मुंह में कुछ और
India China Border Tension मंगलवार को चीन की आर्मी ने इसे अपना हिस्सा बताया और बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने जो बयान दिया है उसमें गलवन को हमेशा से चीन का हिस्सा बताया गया है
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। India China Border Tension: सोमवार रात को गलवन क्षेत्र में जिस तरह से सैन्य हालात बदले हैं उससे अब यह आशंका पूरी तरह से सच साबित होने लगी है कि चीन भारत के साथ अपनी सीमा को लेकर बिल्कुल नए मोड में आ चुका है। पूरे हालात पर चीन ना सिर्फ ज्यादा शातिर नजर आ रहा है बल्कि जिस तरह से उसकी सेना और विदेश मंत्रालय के बीच ताल-मेल दिख रहा है वह भी उसकी डिजाइन को बताता है। इसकी बानगी गलवन क्षेत्र पर चीन के बदले रुख से भी पता चलता है। मंगलवार को चीन की आर्मी ने इसे अपना हिस्सा बताया और बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने जो बयान दिया है उसमें गलवन को हमेशा से चीन का हिस्सा बताया गया है।
चीन ने अपनी पूरी बटालियन उतार दी थी : यह दावा इसलिए महत्वपूर्ण है कि वर्ष 1962 की लड़ाई के बाद से भारत के अधिकार में गलवन क्षेत्र रहा है। वर्ष 1962 में भारत व चीनी सैनिकों के बीच इस क्षेत्र में भयंकर लड़ाई हुई थी। यहां स्थित भारतीय पोस्ट पर कब्जा के लिए चीन ने अपनी पूरी बटालियन उतार दी थी। लेकिन उसके बाद के चार दशकों से ज्यादा समय तक यह क्षेत्र भारतीय नियंत्रण में रहा है। गलवन क्षेत्र ने जहां पर सोमवार को दोनो देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं वह वास्तविक नियंत्रण रेखा से 8 किलोमीटर दूर है। गलवन क्षेत्र में अब अपना दावा कर चीन ने समूचे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर दोनो पक्षों में होने वाले बातचीत को पेंचीदा बना दिया है।
गलवन हमेशा से चीन के नियंत्रण वाला हिस्सा रहा है : चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झांग लिजियन ने मंगलवार को कहा कि गलवन क्षेत्र हमेशा से चीन के नियंत्रण में रहा है। भारतीय सैनिकों वहां पर आते जाते रहे हैं और उन्होंने हमारी बोर्डर नियमों का घोर उल्लंघन किया है। इसके पहले चीन के वेस्टर्न वार जोन के स्पोक्सपर्सन सीनियर कर्नल झांग शूईली ने कहा था कि गलवन हमेशा से चीन के नियंत्रण वाला हिस्सा रहा है।
चीन भारत के साथ सीमा विवाद : पहले चीन की सेना की तरस से इस तरह का बयान देना और बाद में विदेश मंत्रालय की तरफ से इसे दोहराना बताता है कि चीन ने मई, 2020 में गलवन क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ घुसपैठ किया है। उक्त दोनो बयान में यह भी कहा गया है कि चीन भारत के साथ सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने को तैयार है और दोनो के बीच बातचीत भी हो रही है। चीन के विदेश मंत्रालय ने तो यहां तक कहा है कि चीन भारत के साथ अब विवाद को आगे नहीं बढ़ाना चाहता बल्कि भारत के साथ काम करना चाहता है।
भारतीय सेना का बयान नरम : चीन के इस बयान पर पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव मेनन ने कहा है कि चीन के बयान को गौर से देखने की जरुरत है। एक तरफ वह गलवन क्षेत्र को अपना हिस्सा बता रहा है दूसरी तरफ अपने आपको पीड़ित दर्शाने की भी कोशिश कर रहा है। वैसे चीन का बयान ज्यादा आक्रामक है जबकि भारतीय विदेश मंत्रालय व भारतीय सेना का बयान नरम है। वह मानती है कि वर्ष 1976 से दोनो देशों के रिश्ते को सामान्य करने की जो कोशिशें चल रही थी उन पर अब पानी फिर गया है।