India- China Tension: भारत ने कहा, एलएसी का सम्मान पहली शर्त, वार्ता से ही निकलेगा रास्ता
भारत की तरफ से चीन को यह संदेश भी लगातार दिया जा रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना सीमा पर शांति व स्थायित्व को बहाल करने का सबसे प्रमुख शर्त होगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अब जबकि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों से पीछे हटना शुरू कर दिया है तो इसका असर दोनो देशों के बयानों पर भी साफ दिखने लगा है। भारत ने यह स्पष्ट किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान ही तनाव को खत्म करने की पहली शर्त होगी। यह भी कहा है कि बातचीत से ही वर्षों से चले आ रहे सीमा विवाद का स्थाई हल निकलेगा।
दो महीने बाद भारत और चीन की तरफ से नरमी के साफ संकेत
उधर, चीन ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं कि आपसी बातचीत से हालात को और सामान्य किया जा सकता है। दोनो देशों के बीच कूटनीतिक व सैन्य संपर्क लगातार बना हुआ है। जल्द ही विदेश मंत्रालयों के स्तर पर और सीमा विवाद सुलझाने के लिए गठित विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत का अगला आधिकारिक दौर भी होने के आसार हैं।भारत व चीन के विदेश मंत्रालय के अधिकारी दोनो देशों की सेनाओं की वापसी की लगातार निगरानी कर रहे हैं। भारत की तरफ से चीन को यह संदेश भी लगातार दिया जा रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना सीमा पर शांति व स्थायित्व को बहाल करने का सबसे प्रमुख शर्त होगा।
दोनों पक्षों ने कहा, बातचीत से ही निकलेगा सीमा विवाद का हल
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने कहा कि 5 जुलाई, 2020 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की अगुवाई में सीमा विवाद सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत में दोनो पक्षों में यह सहमति बनी थी कि द्विपक्षीय रिश्तों को समग्र तौर पर सुधार करने के लिए सीमा पर शांति बहुत ही आवश्यक है। इस संदर्भ में दोनों ने यह सहमति जताई थी कि जिस क्षेत्र में अभी तनाव है, वहां द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर सैनिकों की पूरी तरह से वापसी होनी चाहिए।
जल्द ही दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच विमर्श संभावित
द्विपक्षीय समझौतों का एक अहम पहलू यह है कि दोनो पक्ष एलएसी का पूरी तरह से पालन करेंगे। भारतीय एनएसए व चीनी विदेश मंत्री इस बात के लिए भी राजी हुए हैं कि सीमा पर शांति भंग करने के मामलों को टालने के लिए उनके बीच और काम होना चाहिए। सैनिकों की वापसी पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति को आगे बढ़ाने के लिए दोनो देशों के बीच डिप्लोमेटिक व मिलिट्री स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। सीमा विवाद पर दोनो देशों के विदेश मंत्रालयों के स्तर पर पहले से गठित वर्किग मेकेनिज्म (डब्लूएमसीसी) की अगली बैठक जल्द ही होने की संभावना है। इसकी एक बैठक पहले हो चुकी है। इसके अलावा विशेष प्रतिनिधियों की भी एक बैठक संभावित है।
सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच भी होगी अगली बैठक
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक बातचीत को जारी रखने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पहली अनौपचारिक मुलाकात में ही सहमति बनी थी। यही वजह है कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में गलवन नदी घाटी में चीनी घुसपैठ के बाद भी दोनो देशों के बीच लगातार उच्च स्तर पर संपर्क बना हुआ है। विदेश मंत्रियों से लेकर विशेष प्रतिनिधियों के बीच संपर्क साधा गया तो विदेश मंत्रालयों के दूसरे अधिकारियों और सैन्य कमांडरों के बीच कई स्तर पर बातचीत हुई है। गंभीर तौर पर बातचीत 6 जून से शुरु हुई है और एक महीने में सैनिकों की वापसी शुरु हुई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्रीवास्ताव का यह कहना कि, ''हम इस बात को लेकर आश्वस्त है कि बातचीत के जरिए ही सीमा पर शांति स्थापित की जा सकती है''।