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India China Border News: गलवन हिंसा के बाद 20 दिन में चीन को भारत से मिले 20 बड़े झटके

India China Border News गलवन घाटी हिंसा के साथ भारत ने चीन को न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक और कूटनीतिक स्तर पर भी चौतरफा घेर दिया है। पढ़ें- चीन को मिले कौन से 20 बड़े झटके।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 06:28 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 07:11 PM (IST)
India China Border News: गलवन हिंसा के बाद 20 दिन में चीन को भारत से मिले 20 बड़े झटके
India China Border News: गलवन हिंसा के बाद 20 दिन में चीन को भारत से मिले 20 बड़े झटके

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। गलवन घाटी हिंसा के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए भारत, चीन के खिलाफ हर मोर्चे पर पुख्ता तैयारी कर रहा है। फिर चाहे वह आर्थिक हो, सामरिक हो या फिर कूटनीतिक। 15 जून की रात हुई इस खूनी झड़प के बाद 20 दिन में भारत ने ड्रैगन को 20 बड़े झटके दिये हैं। आइये जानते हैं- ड्रैगन को कुचलने वाले कौन से हैं वो 20 बड़े फैसले।

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1. 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध

चीन के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी कार्रवाई 29 जून 2020 की शाम हुई, जब 59 चीनी ऐप्स को बैन किया गया। इसमें TikTok के अलावा DU Recorder, Likee, Helo, Vigo Video सहित कई प्रचलित ऐप थे। चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक केवल टिकटॉक और हेलो ऐप पर बैन से चीन की बाईट डांस (ByteDance) कंपनी को लगभग 45,000 करोड़ रुपये के नुकसान की उम्मीद है।

2. 5जी की रेस से चीन की छुट्टी

भारत में 5जी इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए चीनी कंपनियों के साथ अरबों रुपये के कॉट्रेक्ट हुए थे। सरकारी टेलिकॉम कंपनियों BSNL और MTNL ने भी 5G सेवा विस्तार के लिए चीनी कंपनियों को ठेके दिये थे, जिन्हें रद कर दिया गया है।

3. ड्रैगन को 21,000 करोड़ का करंट

शुक्रवार (03 जुलाई) को भारत सरकार के बिजली मंत्री आरके सिंह ने चीन व पाकिस्तान से बिजली उपकरण आयात बंद करने की घोषणा की है। भारत प्रतिवर्ष 71,000 करोड़ रुपये के बिजली उपकरण आयात करता है, जिसमें से 21,000 करोड़ रुपये के उपकरण अकेले चीन से आते थे।

4. कानपुर-आगरा मेट्रो ठेके से चीनी कंपनी बाहर

शुक्रवार (03 जुलाई) को उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (UPMRC) ने कानपुर व आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कोच सप्लाई की निविदाएं खुलने पर चीनी कंपनी को बाहर कर दिया। दोनों प्रोजेक्ट में 67 ट्रेनों के लिए कोच की आपूर्ति होनी है। अब ये ठेका गुजरात की बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया है।

5. बिहार में चीनी कंपनियों से छिना 29.26 अरब का ठेका

नीतीश सरकार ने रविवार (28 जून) को पटना में गंगा नदी पर बनने वाले पुल का ठेका निरस्त कर दिया। ये पुल मौजूदा महात्मा गांधी सेतु के बगल में बनना है। इसके साथ लगभग 15 किलोमीटर की सड़क भी बननी है। पूरा ठेका 29.26 अरब रुपये का है। प्रोजेक्ट में चुने गए चार ठेकेदारों में से दो के पार्टनर चाइनीच थे। इसलिए ठेका रद कर दिया गया।

6. रेलवे ने 471 करोड़ का ठेका रद किया है

कानपुर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के बीच सिग्नलिंग के लिए वर्ष 2016 में चीनी कंपनी को 471 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था। रेलवे ने मौजूदा तनाव के बीच ये ठेका रद कर दिया है।

7. दिल्ली सरकार की ई-बस प्रोजेक्ट से भी चीन की छुट्टी

दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने को 1000 ई-बसें उतारने की तैयारी में है। इसके लिए चीन से बस के पार्ट्स खरीदकर भारत में असेंबल करने की योजना थी। अब दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि वह चीन से कोई भी पार्ट्स नहीं खरीदा जाएगा। दिल्ली ने यूरोपीय देशों में संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं।

8. चीनी सामानों पर बढ़ी कस्टम ड्यूटी

पिछले दिनों भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है। इसमें चीन निर्मित खिलौनों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक हर सामान शामिल है। इससे चीन को अरबों डॉलर का नुकसान होगा।

9. भारतीय बाजारों से चीनी उत्पाद गायब

बाजार में चीनी मोबाइल से लेकर अन्य उत्पादों की बिक्री लगभग बंद है। व्यापारियों ने भी चीनी उत्पाद से तौबा कर ली है। बिहार में हर महीने चीन से करीब 600 करोड़ रुपये का कारोबार होता था, जो तेजी से सिमट रहा है। दिल्ली के व्यापारियों ने भी चीनी सामान का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अनुसार दीपावली पर केवल दिल्ली में चीन से 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का सामान भारतीय बाजारों में पहुंचता है। पूरे देश में दीपावली पर चीन से तकरीबन 1 लाख करोड़ रुपये का सामान आता है। पंजाब के फेडरेशन ऑफ ऑटो पार्ट्स मेन्युफैक्चरर ने भी ऑटो निर्माण कंपनियों से चाइनीज पार्ट्स की जगह भारतीय पार्ट्स का इस्तेमाल करने को कहा है। अन्य राज्यों में भी ऐसे ही संगठित तरीके से चीन का बहिष्कार हो रहा है।

10. FDI के जरिये चीनी निवेश पर नियंत्रण

भारत-चीन के बीच 5 मई को शुरू हुई तनातनी के बाद मोदी सरकार ने एफडीआई के जरिये चीनी कंपनियों के निवेश को नियंत्रित करना शुरू कर दिया था। इसके लिए भारत सरकार ने संबंधित नियमों में बदलाव किये हैं। मालूम हो कि वर्ष 2009-10 में चीन का भारतीय कंपनियों में निवेश 4.1 करोड़ डॉलर था। वर्ष 2014-15 में चीन ने भारतीय कंपनियों में सर्वाधिक 49.48 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। वर्ष 2018-19 में चीनी निवेश 22.9 करोड़ डॉलर और 2019-20 में 16.38 करोड़ डॉलर का था।


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