India China Border News: भारत से तनातनी के बीच दुनिया से अलग-थलग पड़ा चालबाज चीन
India China Border News चीन के बहकावे और कुटिल चालों में फंसे देशों ने भी उससे किनारा करना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। India China Border News अपनी सामरिक व आर्थिक ताकत के गुमान में पड़ोसियों के साथ-साथ अन्य देशों से पंगा लेने वाला चीन आज दुनिया से अलग-थलग पड़ गया है। कोरोना संक्रमण को लेकर अपने रहस्यमय रवैये के कारण पहले ही वह दुनियाभर के देशों के निशाने पर आ गया था। इस बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की हिंसक झड़पों व तनातनी ने उसके नापाक इरादे को दुनिया के सामने ला दिया। अब तो चीन के बहकावे और कुटिल चालों में फंसे देशों ने भी उससे किनारा करना शुरू कर दिया है।
भूटान : चीन की नजर पूर्वी भूटान स्थित सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर है। गत दिनों उसने इस अभयारण्य पर दावा भी ठोक दिया था, जिसका भूटान ने पुरजोर विरोध किया था। इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन-भूटान के बीच कभी सीमा निर्धारित नहीं हुई। सीमा को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है।
नेपाल : निवेश का झांसा देकर चीन ने नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार को भारत के खिलाफ बहकाया और उसकी जमीन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। नेपाल के कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने देश की कुल 10 जगहों पर कब्जा किया है। रुई गांव अब सिर्फ नेपाल के नक्शे में रह गया है। चीन ने उसे अपने कब्जे वाले तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में मिलाकर वहां सड़क नेटवर्क का निर्माण शुरू कर दिया है। इसे लेकर नेपाल सरकार भले ही चुप है, लेकिन विपक्षी दल व आम लोग आंदोलनरत हैं।
श्रीलंका : पड़ोसी श्रीलंका भी चीन के बहकावे में आ गया था। उसने हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया था। लेकिन, जल्द ही उसे चीन की विस्तारवादी नीति का एहसास हो गया और वह एक बार फिर भारत के करीब आने लगा है। गत महीने ही श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज ने चीन को हंबनटोटा बंदरगाह की लीज दिए जाने को भूल करार देते हुए अपनी विदेश नीति में ‘भारत पहले’ के दृष्टिकोण को अपनाने की बात कही थी।
पाकिस्तान : चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईपी) के नाम पर गुलाम कश्मीर को अपना अघोषित उपनिवेश बनाने की साजिश रच रहे चीन का पाकिस्तानी नागरिक पुरजोर विरोध कर रहे हैं। नीलम व झेलम नदियों पर बन रहे मेगा डैम के खिलाफ गुलाम कश्मीर के लोग सड़कों पर उतर चुके हैं और उन्होंने परियोजना को बंद किए जाने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा कर दी है। लोग चीन के साथ-साथ पाकिस्तान का भी विरोध कर रहे हैं।
हांगकांग और ताइवान चाहते हैं चीनी तानाशाही से मुक्ति : चीन भले ही ताइवान को अपना क्षेत्र मानता हो, लेकिन वहां की राष्ट्रपति साई इंग-वेन हमेशा इसका विरोध करती रही हैं। वह ताइवान को संप्रभु देश मानती हैं। चीनी दबाव के बीच उन्होंने हाल ही में साफ किया था, ‘लोकतांत्रिक ताइवान चीनी नियम-कायदे कभी कुबूल नहीं करेगा और चीन को इस हकीकत के साथ शांति से जीने का तरीका खोजना होगा।’ हांगकांग में चीन के खिलाफ प्रदर्शन लंबे समय से चल रहा है। चीन अपना नया कानून हांगकांगवासियों पर थोपना चाहता है, जबकि लोग उसके खिलाफ हैं।
अमेरिका, जर्मनी व यूरोपीय यूनियन समेत कई देश भारत के साथ : कोरोना संक्रमण के मुद्दे पर चीन के संदिग्ध रुख का खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुलकर विरोध करते रहे हैं। जून के दौरान लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद अमेरिका ने खुलकर भारत का साथ दिया था। जी-7 की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था और चीनी रुख की आलोचना हुई थी। यूरोपीय यूनियन ने चीन के रुख के प्रति दुनिया को सतर्क करते हुए अमेरिका का साथ देने का आह्वान किया था। फ्रांस, जर्मनी व मालदीव ने भी भारतीय सैनिकों की शहादत पर दुख जताया था। डोकलाम विवाद के दौरान भी अमेरिका व जापान आदि देशों ने भारत का समर्थन किया था।
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