India China Tension: सेना बना रही हॉवित्जर तोपों के लिए और अधिक मारक गोला बारूद हासिल करने की योजना
भारतीय सेना अधिक मारक तोपखाने के लिए बनाए गए गोला बारूद को हासिल करने के लिए एक आदेश देने की योजना बना रही है जो 50 किमी रेंज तक लक्ष्य को मार सकता है।
नर्इ दिल्ली, एएनआइ। लद्दाख के गलवन घाटी में हिंसक संघर्ष में 20 सैनिकों के बलिदान के बाद भारतीय सेना चीन को जैसा को तैसा के अंदाज में जवाब देने को तैयार है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों को महत्वपूर्ण उपकरणों की कमी से दूर करने के लिए करीब 500 करोड़ रुपये आपातकालीन खरीद के लिए अनुमति दे दी है। इसके बाद भारतीय सेना अधिक मारक और बेहतर तरीके से तोपखाने के लिए बनाए गए गोला बारूद को हासिल करने के लिए एक आदेश देने की योजना बना रही है, जो 50 किमी रेंज तक लक्ष्य को मार सकता है।
अमेरिका से मंगाए गए गोला बारूद
पिछले साल सेना द्वारा आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के तहत तेजी से मारक गोला-बारूद को पश्चिमी क्षेत्र पर ज्यादा क्षति पहुंचाने के लिए बिना आबादी वाले क्षेत्रों के करीब दुश्मन पर प्रहार करने की क्षमता हासिल करने के लिए शामिल किया गया था। मौजूदा तनाव के मद्देनजर अब वित्तीय शक्तियां फिर से सशस्त्र बलों को दे दी गई हैं। अब अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपों द्वारा इस्तेमाल किए गए ज्यादा मारक गोला बारूद के लिए फिर से आदेश देने की योजना है, जिसे ऊंचाई वाले पहाड़ों पर आसानी से तैनात किया जा सकता है।
पिछले साल के आदेशों के बाद सेना ने अक्टूबर समय सीमा तक अमेरिका से गोला बारूद को शामिल करना शुरू कर दिया था और पिन प्वाइंट पर सटीकता से लक्ष्य को हासिल किया था। ऐसा इसलिए भी हो रहा है जब चीन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ तिब्बत और अन्य सीमा वर्ती इलाकों में अपनी तोपें और हथियार तैनात कर रखा है।
पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रामकता और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ बड़ी संख्या में वहां अपने सैनिकों को तैनात करने के बाद सेना को इस शक्ति को फिर से देने की आवश्यकता महसूस की गई थी। उरी हमले और पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट हवाई हमलों के बाद सशस्त्र बलों को भी ऐसी ही वित्तीय शक्तियां दी गईं थीं।
चीन को करारा जवाब देने की तैयारी
गौरतलब है कि चीन सीमा पर भारतीय सेना ने अमेरिकी निर्मित एम777 होवित्जर तोपें तैनात कर दी हैं। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में बोफोर्स के नाम से मशहूर होवित्जर गनों ने पाकिस्तान पर कहर बन कर दुश्मन पर बरसी थीं। इसके बाद दक्षिण कोरिया की के-9 वज्र तोपें भी जल्द मैदान में उतारी जा सकती हैं। इसके साथ ही लद्दाख में सेना की आर्टिलरी रेजीमेंटों को नई ताकत मिलेगी। सेना की आर्टिलरी के अधिकारी ने बताया कि अब चीन की कोई भी हिमाकत उसे बहुत भारी पड़ने वाली है।
जानिए, एम777 होवित्जर तोपों की खासियत
- एम777 होवित्जर तोपें की 25 किलोमीटर तक मारक क्षमता है , जरूरत पड़ने पर जिसे बढ़ाकर 50 किलोमीटर किया जा सकता है।
- इस तोप से दुश्मन पर एक मिनट में पांच गोले दागे जा सकते हैं। दुश्मन को संभलने का मौका दिए बिना ताबड़तोड़ प्रहार किए जा सकते हैं।
- ऊंचार्इ् वाले क्षेत्रों में दुश्मन को मात देने के लिए तोपों का घातक होने के साथ उनका हल्का होना जरूरी है। इससे उन्हें पहाड़ी इलाकों में एक जगह से दूसरी जगह लेना आसान होता है।
- बोफोर्स तोप के नाम से मशहूर 155 एमएम की एफएच-77 होवित्जर तोपों की जगह ले रही 155 एमएम की आधुनिक एम777 होवित्जर तोपें पुरानी तोपों से 41 फीसद हल्की है।
- इन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए पहाड़ों की चोटियों पर पहुंचाया जा सकता है। इनकी जगह जल्दी से बदली जा सकती है।