चीन से परेशान भारत और वियतनाम बनाएंगे साझा रणनीति, कल होगी दोनों देशों के पीएम की शिखर बैठक
भारत और वियतनाम एक दूसरे के रणनीतिक महत्व को पहले से पहचान चुके हैं। पिछले महीने दोनों प्रधानमंत्रियों की वर्चुअल मुलाकात आसियान-भारत बैठक में हुई थी। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच भी बैठक हो चुकी है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। वर्ष 2020 में चीन के आक्रामक व्यवहार से सबसे ज्यादा परेशानी भारत और वियतनाम को हुई है। सोमवार को इन दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की शिखर बैठक होगी, जिसमें भावी रणनीतिक गठजोड़ के लिए व्यापक समझौते को आकार दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नुयेन शुआन फुक की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक के दौरान रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा और संस्कृति से जुड़े तकरीबन दो दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। सबसे अहम बात यह है कि वार्ता में हिंद प्रशांत क्षेत्र के मद्देनजर किस तरह से नौसैनिक संबंधों को आगे बढ़ाया जाए, इस बारे में पहले से चल रही चर्चा को दोनों नेता एक दिशा देंगे।
भारत और वियतनाम एक दूसरे के रणनीतिक महत्व को पहले से पहचान चुके हैं। इनके बीच रणनीतिक साझेदारी पहले से स्थापित है। लेकिन, अब इस रणनीतिक साझेदारी को ज्यादा व्यापक रूप देने की तैयारी है। इसके पीछे एक बड़ी वजह चीन का इन दोनों देशों के प्रति आक्रामक रवैया भी है। दक्षिण चीन सागर में चीन की दावेदारी को लेकर वर्ष 2020 में वियतनाम के साथ उसके रिश्ते पहले से भी ज्यादा तनावपूर्ण हो गए हैं। दूसरी तरफ मई 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा का चीन की ओर से उल्लंघन के बाद भारत के साथ उसके रिश्ते बहुत खराब हो चुके हैं। दोनों देशों की सेनाएं पिछले आठ महीनों से एक दूसरे के सामने तैयार हैं। इस परिप्रेक्ष्य में पीएम मोदी की अपने वियतनामी समकक्ष साथ होने वाली बैठक का महत्व बढ़ गया है। पिछले महीने दोनों प्रधानमंत्रियों की वर्चुअल मुलाकात आसियान-भारत बैठक में हुई थी। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच भी बैठक हो चुकी है।
अक्षय ऊर्जा को लेकर भारत मदद करने को तैयार
सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच एक दूसरे के हितों से जुड़े और दूसरे वैश्विक व स्थानीय मसलों पर विमर्श होगा। उद्देश्य यह है कि भविष्य में भारत-वियतनाम के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी विकसित हो। इस बारे में एक दृष्टि-पत्र भी जारी किए जाने की तैयारी है। रक्षा, ऊर्जा और स्वास्थ्य सेक्टर में सहयोग को लेकर काफी संभावनाएं हैं। रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में पहले जो समझौते हुए हैं, उनकी समीक्षा भी होगी। भारत ने वियतनाम को रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए आसान शर्तों पर कर्ज (लाइन ऑफ क्रेडिट) उपलब्ध करा रखा है। इसकी भी समीक्षा होगी कि आगे क्या खरीद की जाए। अक्षय ऊर्जा को लेकर भारत मदद करने को तैयार है। भारत वियतनाम को कई तरह की विकास परियोजनाओं में भी मदद कर रहा है। कोविड के खिलाफ लड़ाई में भी भारत मदद करेगा और कोविड के बाद की दुनिया में आर्थिक सहयोग की संभावनाभी तलाश की जाएगी।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2021 में भारत और वियतनाम एक साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बनने जा रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करने का एक बड़ा अवसर होगा। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र में स्थानीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को उठाने में एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। हाल के दिनों में दोनों देशों ने वैश्विक एजेंसियों की कमजोर होती भूमिका पर सवाल उठाए हैं।