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समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए भारत व सिंगापुर में समझौता

समझौते के तहत सिंगापुर की नौसेना की पहुंच अंडमान निकोबार में हो सकेगी। दोनों देशों ने संशोधित रक्षा सहयोग समझौते (डीसीए) पर भी हस्ताक्षर किए।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 30 Nov 2017 10:07 AM (IST)Updated: Thu, 30 Nov 2017 10:07 AM (IST)
समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए भारत व सिंगापुर में समझौता
समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए भारत व सिंगापुर में समझौता

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत व सिंगापुर ने बुधवार को एक समझौते पर दस्तखत किए, जिसके तहत समुद्री सुरक्षा को लेकर दोनों देशों ने एक दूसरे की मदद करने का भरोसा दिया। दोनों के बीच संवेदनशील समुद्री क्षेत्र में काम करने पर भी सहमति बनी। भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर यह समझौता बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आतंकवाद का खात्मा करने को भी दोनों देशों ने प्रतिबद्धता जताई।

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भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण व सिगापुर के रक्षा मंत्री डॉ. एनजी इंग हेन ने मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देश रक्षा मामले में एक दूसरे की मदद करने को प्रतिबद्ध हैं। दोनों मंत्रियों ने कहा कि समुद्री क्षेत्र में निगरानी व व्यापार अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। डॉ. एनजी इंग हेन ने कहा कि बातचीत बेहद सफल रही है। उन्होंने जोर दिया कि आतंकवाद व रसायनिक, जैविक हथियारों के प्रयोग पर रोक के लिए क्षेत्रीय व वैश्विक प्रयास किए जाने चाहिए।

हिंद महासागर में भारत की भूमिका की सराहना करते हुए सिंगापुर के मंत्री ने कहा कि वह भारत के उस प्रस्ताव से सहमत हैं कि दोनों देशों की नौसेना को एक दूसरे के करीब आना चाहिए। इसमें एक दूसरे को समझने वाले क्षेत्रीय व आसियान साझीदारों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय नौसेना के जहाजों को सिंगापुर के नौसैनिक मुख्यालय चांगी में आने का न्योता दिया तो यह भी इच्छा जताई कि उनके जहाज अंडमान के समुद्र में आकर अभ्यास व निगरानी करना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि चांगी दक्षिण चीन सागर के नजदीक स्थित है और इस इलाके को चीन अपना मानता है। सिंगापुर के मंत्री ने कहा कि वह अपने नौसैनिक मुख्यालयों पर भारतीय जहाजों को ईधन देने के साथ ठहरने की सहूलियत भी उपलब्ध कराएंगे। खास बात है कि इससे भारत की पहुंच मलक्का स्ट्रेट तक हो सकेगी। मलक्का एक संकरा समुद्री रास्ता है जो हिंद महासागर व दक्षिण चीन सागर को आपस में जोड़ता है।

समझौते के तहत सिंगापुर की नौसेना की पहुंच अंडमान निकोबार में हो सकेगी। दोनों देशों ने संशोधित रक्षा सहयोग समझौते (डीसीए) पर भी हस्ताक्षर किए। इससे दोनों देशों की सशस्त्र सेनाओं के बीच ज्यादा बेहतर तालमेल हो सकेगा। दोनों ने भारत-सिंगापुर की वायु सेना के बीच इस साल की शुरुआत में किए गए संशोधित समझौते का भी स्वागत किया। सिंगापुर के मंत्री ने कहा कि वह खुश हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी ने शांगरी-ला 2018 वार्ता में आने का न्योता स्वीकार किया है।

तेजस की फिर से तारीफ
सिंगापुर के मंत्री ने स्वदेश निर्मित तेजस लड़ाकू विमान की फिर से तारीफ की। गौरतलब है कि मंगलवार को वायुसेना स्टेशन, कलाईकुंडा पहुंचे सिगापुर के रक्षा मंत्री डॉ. एनजी इंग हेन ने लाइट कॉम्बैट विमान तेजस में उड़ान भरी थी। बतौर प्रथम विदेशी नागरिक तेजस में उड़ान भरने वाले मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि यह शानदार विमान है और काफी प्रभावशाली भी। उन्होंने एयर वाइस मार्शल एपी सिंह और तेजस उड़ाने वाले पायलट की भी सराहना की।

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