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कोरोना टेस्टिंग के लिए 4 तकनीकों का ट्रायल कर रहे भारत-इजरायल, 30 सेकेंड में मिलेगा रिजल्ट

आरएमएल अस्पताल में किए जा रहे टेस्ट के ट्रायल्स में चार विभिन्न प्रकार की साधारण तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है जिनमें करीब 30 सेकेंड में कोविड-19 का पता लगाने की क्षमता है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 10:31 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 10:31 PM (IST)
कोरोना टेस्टिंग के लिए 4 तकनीकों का ट्रायल कर रहे भारत-इजरायल, 30 सेकेंड में मिलेगा रिजल्ट
कोरोना टेस्टिंग के लिए 4 तकनीकों का ट्रायल कर रहे भारत-इजरायल, 30 सेकेंड में मिलेगा रिजल्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत और इजरायल संयुक्त रूप से बड़ी संख्या में मरीजों पर चार ऐसी विभिन्न तकनीकों का ट्रायल कर रहे हैं, जिनमें करीब 30 सेकेंड में कोविड-19 का पता लगाने की क्षमता है। इसमें ब्रीथ एनालाइजर और वॉइस टेस्ट शामिल हैं। भारत में इजरायल के राजदूत रोन मलका ने शुक्रवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में बनाए गए विशेष टेस्टिंग स्थल का दौरा किया और पिछले तीन दिनों से जारी ट्रायल के बारे में जाना।

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इस रैपिड टेस्ट को इजरायली रक्षा मंत्रालय का रक्षा विकास एवं अनुसंधान निदेशालय और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार मिलकर विकसित कर रहे हैं। दोनों देशों के विदेश मंत्रालय इस काम में समन्वय कर रहे हैं। अस्पताल के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन भी उनके साथ थे।

आरएमएल अस्पताल में किए जा रहे टेस्ट के ट्रायल्स में चार विभिन्न प्रकार की साधारण तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें वॉइस टेस्ट (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिये मरीज की आवाज में बदलाव की पहचान), ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट (इसमें मरीज को एक ट्यूब में फूंक मारनी होती है और टैरा ह‌र्ट्ज वेव्स के जरिये वायरस का पता लगाया जाता है), आइसोथर्मल टेस्टिंग (इसमें लार के नमूने से वायरस का पता लगाया जाता है) और पॉलिअमीनो टेस्ट (कोविड-19 से संबंधित प्रोटीन को अलग किया जाता है) शामिल हैं।

दौरे के दौरान मलका ने कहा कि अगर इनमें से कोई एक टेस्ट भी आधे मिनट से कम समय में वायरस का पता लगाने में सफल रहा तो कोविड-19 की पहचान करने में यह सबसे बड़ी सफलता होगी, जिसका दुनिया इंतजार कर रही है। वहीं, राघवन ने कहा कि इजरायल और भारत की आधुनिक तकनीक और भारत के उत्पादन कौशल से हम तब तक वायरस के साथ ही जीने की राह निकाल सकते हैं जब तक वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती। मालूम हो कि ये ट्रायल इजरायल से भारत आए बहुआयामी मिशन का हिस्सा है जो कोविड-19 पर शोध एवं विकास में सहयोग के लिए आया है।


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