Covid-19 की वजह से जहां पूरी दुनिया झेलेगी आर्थिक मंदी, वहीं भारत और चीन इससे बचे रहेंगे
वैश्विक अर्थव्यवस्था में 90 साल पुरानी महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट की आशंका से चिंतित है। हालांकि IMF ने माना है कि भारत चीन इससे बचे रहेंगे।
नई दिल्ली कोरोना संकट के मद्देनजर पहले ही कुछ वित्तीय संस्थाएं भविष्य में आने वाले आर्थिक संकट की तरफ इशारा कर चुकी हैं। इसके अलावा कुछ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट और पूरी दुनिया में लाखों नौकरियों पर संकट की भी बात कही है। वहीं अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 90 साल पुरानी महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट की आशंका से चिंतित है। हालांकि आईएमएफ ने ये भी माना है इस संकट में यदि किसी देश की अर्थव्यवस्था बची रह सकती है तो वो केवल भारत और चीन ही हैं।
आपको बता दें कि आईएमएफ और विश्व बैंक के ग्रीष्मकालीन सम्मेलन के दौरान जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में जहां चीन की विकास दर इस साल 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है वहीं भारत की आर्थिक विकास दर (जीडीपी) वर्ष 2020 में 1.9 फीसदी पर आ जाने का अनुमान जताया गया है। इसके बावजूद राहत की बात ये है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। रॉयटर के मुताबिक इस दौरान वैश्विक आर्थिक विकास दर की बात करें तो इसमें तीन फीसद गिरावट की आशंका जताई गई है। इसका अर्थ ये भी है कि ये गिरावट वर्ष 2008-09 के आर्थिक संकट से भी बड़ी गिरावट है।
इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने दुनिया में जारी कोरोना संकट पर भी चिंता जताई। इसमें कहा गया कि पूरी दुनिया के लिए इससे उबरना बेहद जरूरी है। इसके लिए आईएमएफ ने सभी देशों से चिकित्सा आपूर्ति के निर्यात पर अंकुश नहीं लगाने का आह्वान भी किया है।
गौरतलब है कि दुनियाभर में फैले इस संकट की वजह से हर देश में चिकित्सा सामान की मांग काफी अधिक बढ़ गई है। कई देश की इसकी कमी से जूझ भी रहे हैं। कहीं ऐसा भी है कि इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं और व्यापारी जरूरत का फायदा उठाकर खराब सामान की भी सप्लाई करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। आईएमएफ ने इन तमाम चीजों पर चिंता व्यक्त की है। कोरोना वायरस की वजह से वैश्विक स्तर पर सर्जिकल मास्क, गाउन और वेंटिलेटरों की भारी मात्रा में जरूरत है।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बैठक के पहले मुद्राकोष मुख्यालय में कहा कि वैश्वीकरण की दृष्टि से यह इस महामारी से निपटने के लिए एक मुश्किल समय है। उन्होंने कहा कि लोगों की यात्रा पर अंकुश है। लोग काम पर नहीं जा सकते। कारखाने बंद हैं, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला टूट चुकी है। इस संकट की वजह से ऐसा हुआ है। आपको बता दें कि ये चिंताएं इस वजह से सामने आई हैं क्योंकि कुछ देशों ने इस तरह की कार्रवाई की है। यूरोपीय संघ ने भी 15 मार्च को फेस शील्ड, सर्जिकल मास्क और गाउन जैसे उत्पादों के निर्यात पर अंकुश लगाने की घोषणा की थी। वहीं इटली की एकमात्र वेंटिलेटर उत्पादक सियरे इंजीनियरिंग ने कहा था कि सरकार के निर्देश पर वह अपना सारा उत्पादन घरेलू इस्तेमाल के लिए रख रही है।