कोरोना की उत्पत्ति को लेकर भारत और चीन में बढ़ी तल्खी, ड्रैगन पर लगाए गए ये गंभीर आरोप
चीन का कहना है दल के सभी सदस्यों ने माना है कि वुहान स्थित किसी भी लैब से वायरस को बाहर ले जाना असंभव है। चीन का यह भी कहना है कि संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में साफ तौर पर वैज्ञानिक तौर पर यह निष्कर्ष निकाला गया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पूरी दुनिया को हलकान करने वाली कोरोना महामारी की उत्पत्ति (ओरिजिन) का पता लगाने के मुद्दे पर भारत और चीन के बीच एक नया तनाव पैदा हो गया है। भारत इस मुद्दे पर अमेरिका, पश्चिमी देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ खड़ा हो गया है। भारत ने परोक्ष तौर पर चीन पर यह आरोप भी लगा दिया है कि वह महामारी की मूल जानकारी एकत्रित करने को लेकर पूरी मदद नहीं कर रहा है और डब्लूएचओ की तरफ से जो जानकारी मांगी जा रही है उसे देने में आनाकानी कर रहा है। भारत की इस प्रतिक्रिया पर चीन ने आपत्ति जताई है और कहा है कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
मामला यह है कि चीन और डब्लूएचओ की टीमों ने साथ मिलकर कोविड-19 महामारी के ओरिजन का पता लगाने के लिए अध्ययन करने का अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत विशेषज्ञों की टीम ने वुहान स्थित कई स्थलों, जांच प्रयोगशालाओं, चिकित्सालयों, रोग नियंत्रण केंद्रों व तमाम तरह की दूसरी जगहों का दौरा किया।
चीन की तरफ से पूरा डाटा नहीं दिया गया: डब्ल्यूएचओ
चीन का कहना है, दल के सभी सदस्यों ने माना है कि वुहान स्थित किसी भी लैब से वायरस को बाहर ले जाना असंभव है। चीन का यह भी कहना है कि संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में साफ तौर पर वैज्ञानिक तौर पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। लेकिन स्वयं डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम का कहना है कि चीन की तरफ से पूरा डाटा नहीं दिया गया है। उन्होंने यहां तक कहा है कि चीन की तरफ से कोविड-19 से जुड़ी शुरुआती जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है और चीन की तरफ से अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को डाटा देने में कई तरह की बाधाएं पैदा की गई हैं।
समय पर और विस्तृत डाटा उपलब्ध कराए चीन: भारत
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, यह ध्यान देने वाली बात है कि डब्लूएचओ के महानिदेशक ने कोविड-19 से जुड़े शुरुआती डाटा को उपलब्ध कराने में होने वाली दिक्कतों को उठाया है। हम उनकी इस मांग का समर्थन करते हैं कि आने वाले दिनों में समय पर और विस्तृत डाटा उपलब्ध कराया जाना चाहिए। भारत ने सभी पक्षों से मांग की है कि वह कोविड-19 के ओरिजिन का पता लगाने वाले दल को हर तरह की मदद मुहैया कराए। भारत भी इस बारे में पूरी मदद करने को तैयार है ताकि इस तरह की महामारियों के खिलाफ ज्यादा सक्षम तैयारी हो सके। इस तरह की जानकारी जुटानी बेहद जरूरी है तभी हम अगली वैश्विक महामारी से लड़ सकेंगे।
भारत की इस प्रतिक्रिया पर नई दिल्ली स्थित चीन के दूतावास ने कहा है कि डब्लूएचओ की टीम के साथ हुए करार के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय टीम को सारी जानकारी दी गई है। चीन के अधिकारियों ने अपनी तरफ से हजारों विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों को डाटा जुटाने और शुरुआती विवेचना के लिए नियुक्त किया था जिन्होंनें जुटाई गई जानकारी को डब्लूएचओ के विशेषज्ञों से साझा किया। चीन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ इन जानकारियों की समीक्षा व अध्ययन करने को तैयार है। यह एक वैज्ञानिक मुद्दा है जिसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। इससे महामारी के खिलाफ जो वैश्विक अभियान चल रहा है, वह प्रभावित हो सकता है। साथ ही ओरिजिन का अध्ययन करना एक वैश्विक अभियान है और इसे दूसरे देशों व स्थानों पर भी चलाया जाना चाहिए।